Monday, 18 April 2016
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सेक्स के बारे में सोचते रहने वाले वॉट्सऐप पर ईमोजी खूब यूज करते हैं : सर्वे
Indo-Asian News Service , अंतिम अपडेट: गुरुवार दिसम्बर 31, 2015 09:29 AM IST
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हाल ही में हुए एक सर्वे के मुताबिक, जो लोग दिन में कई बार सेक्स के बारे में सोचते हैं वे ईमोजी का प्रयोज ज्यादा करते हैं।
Match.com द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक यह बात कही गई है जिसे medicaldaily.com ने छापा है। ईमोजी का प्रयोग करने वाले लोग दरअसल अपने टेक्स्ट के जरिए ज्यादा से ज्यादा पर्सनैलिटी टच देना चाहते हैं। ईमोजी यूजर न सिर्फ सेक्स ज्यादा करते हैं बल्कि वे अपेक्षाकृत ज्यादा बार डेट पर जाते हैं। टाइम मैगजीन को इस सर्वे की टीम लीडर हेलेने फिशर ने यह जानकारी दी।
यह सर्वे 5 हजार से ज्यादा लोगों पर किया गया। इसमें पाया गया कि 36-40 फीसदी ऐसे लोग जो सेक्स के बारे में दिन में कई कई बार सोचते रहते हैं, वे अपने हरेक टेक्स्ट मेसेज में एक न एक ईमोजी का प्रयोग जरूर करते हैं। जो लोग बिल्कुल भी सेक्स के बारे में नहीं सोचते, वे अपेक्षाकृत कम ईमोजी यूज करते हैं। जो लोग दिन में एक बार सेक्स के बारे में सोचते हैं, उन्होंने कहा कि वे ईमोजी का इस्तेमाल करते तो हैं लेकिन हरेक टेक्स्ट मेसेज के साथ नहीं।
हाल ही में हुई एक ओर स्टडी, जिसे DrEd.com ने किया, के मुताबिक 90 लाख से ज्यादा ट्वीट्स का विश्लेषण करने के बाद हमने पाया कि यूएस और यूरोप में सबसे ज्यादा पॉप्युलर ईमोजी है स्माइली फेस जिसमें आंखों की जगह दिल बने होते हैं। यह इमेज रोमांटिक अधिक होती है और सेक्शुअल कम होती है।
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सिर्फ एक टीका और सालभर के लिए कंडोम से मिल जाएगा छुटकारा!
IANS की रिपोर्ट, अंतिम अपडेट: गुरुवार मार्च 31, 2016 06:09 AM IST
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सांकेतिक तस्वीर
जहां कंडोम बड़ी आसानी से सर्वत्र उपलब्ध है और सही तरीके से प्रयोग करने पर कई बीमारियों से भी बचाता है वहीं इसके प्रयोग के बावजूद सालाना 18 फीसदी गर्भवस्था दर देखी गई है।
वहीं, पुरुष नसबंदी काफी प्रभावी है, लेकिन यह एक स्थायी समाधान है। अभी तक पुरुषों के लिए ऐसा कोई गर्भनिरोधक उपलब्ध नहीं है जो लंबे समय तक चले, लेकिन स्थायी न हो। खरगोशों पर किए गए अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि इसका असर एक साल तक रहता है।
शोध प्रमुख व अमेरिका के शिकागो स्थित इलीनोइस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डोनाल्ड वाल्लर का कहना है, 'खरगोश पर किए गए प्रयोग के दौरान मिले नतीजे उम्मीद से बेहतर थे। वेसल जेल बहुत ही तेज गर्भनिरोधक नतीजे देता है, जो काफी लंबे समय तक बना रहता है। इस टीके के जो गुण हैं वो मनुष्यों के लिए बनाए जाने वाले गर्भनिरोधक के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं।'
यह शोध बेसिक एंड क्लिनिकल एंड्रोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। वेसलजेल नाम के इस टीके को अमेरिका की एक गैरसरकारी संस्था पारसेमस फाउंडेशन ने विकसित किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस टीके का मनुष्यों पर परीक्षण जल्द ही शुरू होगा।
पारसेमस फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक इलेन लिसनेर का कहना है, 'गर्भनिरोधक विकसित करना एक बेहद महंगी परियोजना है। लेकिन अब यह परियोजना शुरुआती अवस्था में नहीं है। बल्कि हम उस काम को पूरा करने जा रहे हैं जिसे हमने शुरू किया था।'
मेरी कुतिया का बदन छिपा टाई के तले
आज मैं चौधरी अपने मोटे तने लंड से मस्तानी चुदाई का यादगार किस्सा
सुनाने जा रह हूँ और उम्मीद करता हूँ सारे पढ़ने वाले को यह किस्सा
उत्तेजित और आपके पूरे मन को हिला – डूला कर रख देगा | आज मैं आपको एक सदया
नाम की लड़की के बारे में बता रहा हूँ जिससे मेरी मुलाकात अपने शहर के
पार्क में हुई थी | वहाँ वो अपनी कुतिया को घुमाने लायी ओतर मैं अपने
कुत्ते को जहां मेरे कुत्ता उसकी कुतिया की चुत को सूंघने लगा | वो शर्माने
लगी और वहाँ से जाने लगी तभी मैंने उसे अपने कुत्ते के तरफ से माफ़ी मांग
ली और इसी बहाने हमारी बातें भी शुरू हो गयी |
अब तो हमारी रोज मुलकात हुआ करती और रोज हम बातें किया करते थे | एक दिन जब हम अपने घर जा रहे थे उसने अचानक देखा की उसका घर बंद था और तभी मैं उसे अपने घर ले गया ताकि वो कुछ देर इन्तेज़ार करने लगे | अब उसकी कुतिया और मेरा कुत्ता एक साथ बैठे हुए थे | मैंने बातों के कुछ देर बाद देखा की वो दोनों चुद्दम – चुदाई कर रहे थे | मेरे कुत्ता उसकी कुतिया के उप्पर चडा हुआ था और मस्त वाले झटके देते हुए उसकी चुत को पेल रह था | अब उन्हें देखते – देखते हमें भी मज़ा आने लगा था | मैंने भी उसके हाथ को पकड़ मसलना शुरू कर दिया |
सदया भी मैं मस्त वाली उत्तेजित हो चुकी थी अपने जस्बातों को रोक ना पाई और मुझसे चिपककर मेरे होठो को चूमने लगी | मैं उसकी गर्दन को चुमते हुए उसके टॉप के अंदर हाथ उसे निकाल दिया और उसके उसके चुचों को चुमते हुए सहलाने लगा | वो भी पूरी तरह गर्म हो ह्चुकी थी जिसपर मैंने बिस्तर पर उसकी छोटी सी स्कर्ट को उतारने में ज़रा भी देरी नहीं की | हमारे कुत्ता – कुतिया अभी तक चुदाई करे रहे थे और मैं उसकी पैंटी को भी उतार उसकी चुत को चाट रहा था | कुछ देर बाद मैंने अब उसे भी बिलकुल उसकी कुतिया की तरह वही मुद्रा में दिया |
मैं उसे अब पीछे से कुत्ता बा उसी चुत को चाट रहा था और साथ ही उसकी चुत में अपनी ऊँगली भी घुमा रहा था | जब मुझसे रहा ना गया तो मैंने भी कतई अपने कुत्ते की तरह उसके पीछे चड गया और और उसके चुत पर अपने लंड को लगाते हुए झटके देने लगा | मेरे लंड के अंदर जाते ही सदया जोर – जोर की चींखें लेने लगी जिससे मेरा मन अब तो उसकी और जमकर चुदाई करने का करने लगा | मैं बुआ अब दोनों हाथों से नीचे से उसके चुचों को भींचते हुए उसकी चुदाई बिलकुल अपने कुत्ते की तरह उसे जकडकर करने लगा था |
हमारे मज़े का अब कोई ठिकाना ना था और वो भी अपनी कुतिया की तरह आंहें भरने लगी थी | कुछ देर बाद मैंने देखा की मेरा लंड बिलकुल लाल गया और अचानक सारा वीर्य उसकी चुत पर छूट गया | अब मैं वहीँ लेटकर उसकी चुत चाट रहा था और हमारे कुत्ते भी हमारी दशा को देख रहे थे | उस दिन के बाद से हम रोज शाम को पार्क में चुम्मा – चाटी और कभी चुदाई किया करते |
अब तो हमारी रोज मुलकात हुआ करती और रोज हम बातें किया करते थे | एक दिन जब हम अपने घर जा रहे थे उसने अचानक देखा की उसका घर बंद था और तभी मैं उसे अपने घर ले गया ताकि वो कुछ देर इन्तेज़ार करने लगे | अब उसकी कुतिया और मेरा कुत्ता एक साथ बैठे हुए थे | मैंने बातों के कुछ देर बाद देखा की वो दोनों चुद्दम – चुदाई कर रहे थे | मेरे कुत्ता उसकी कुतिया के उप्पर चडा हुआ था और मस्त वाले झटके देते हुए उसकी चुत को पेल रह था | अब उन्हें देखते – देखते हमें भी मज़ा आने लगा था | मैंने भी उसके हाथ को पकड़ मसलना शुरू कर दिया |
सदया भी मैं मस्त वाली उत्तेजित हो चुकी थी अपने जस्बातों को रोक ना पाई और मुझसे चिपककर मेरे होठो को चूमने लगी | मैं उसकी गर्दन को चुमते हुए उसके टॉप के अंदर हाथ उसे निकाल दिया और उसके उसके चुचों को चुमते हुए सहलाने लगा | वो भी पूरी तरह गर्म हो ह्चुकी थी जिसपर मैंने बिस्तर पर उसकी छोटी सी स्कर्ट को उतारने में ज़रा भी देरी नहीं की | हमारे कुत्ता – कुतिया अभी तक चुदाई करे रहे थे और मैं उसकी पैंटी को भी उतार उसकी चुत को चाट रहा था | कुछ देर बाद मैंने अब उसे भी बिलकुल उसकी कुतिया की तरह वही मुद्रा में दिया |
मैं उसे अब पीछे से कुत्ता बा उसी चुत को चाट रहा था और साथ ही उसकी चुत में अपनी ऊँगली भी घुमा रहा था | जब मुझसे रहा ना गया तो मैंने भी कतई अपने कुत्ते की तरह उसके पीछे चड गया और और उसके चुत पर अपने लंड को लगाते हुए झटके देने लगा | मेरे लंड के अंदर जाते ही सदया जोर – जोर की चींखें लेने लगी जिससे मेरा मन अब तो उसकी और जमकर चुदाई करने का करने लगा | मैं बुआ अब दोनों हाथों से नीचे से उसके चुचों को भींचते हुए उसकी चुदाई बिलकुल अपने कुत्ते की तरह उसे जकडकर करने लगा था |
हमारे मज़े का अब कोई ठिकाना ना था और वो भी अपनी कुतिया की तरह आंहें भरने लगी थी | कुछ देर बाद मैंने देखा की मेरा लंड बिलकुल लाल गया और अचानक सारा वीर्य उसकी चुत पर छूट गया | अब मैं वहीँ लेटकर उसकी चुत चाट रहा था और हमारे कुत्ते भी हमारी दशा को देख रहे थे | उस दिन के बाद से हम रोज शाम को पार्क में चुम्मा – चाटी और कभी चुदाई किया करते |
इंटर्न को लंड दिया फायदा नहीं लेने दिया
ईनू मेरे साथ नई नई एज़ एन इंटर्न लगी थी और आते ही वो सबकी चहेती बन
गयी थी, उसके हंसमुख स्वभाव और सुन्दरता के कारण लड़के और लड़कियां सभी उसके
जल्दी ही दोस्त बन गए थे. पर एक चीज़ मैंने ख़ास नोटिस की थी और वो यह की वो
आज किसी के साथ घूम रही थी तो कल किसी के साथ, महिना डेढ़ महिना ईनू सैंडी
के साथ बड़ा घूमती फिरती थी और दो महीने पूरे होते होते जब ईनू विकास के साथ
घूमती फिरती नज़र आई और सैंडी अकेला और दुखी तब मैं समझ गया क्या लोचा हुआ
है. आजकल मैं ऑब्जर्व कर रहा था की ईनू मेरे केबिन में ज़रा ज्यादा ही आती
है, उसने मुझे फेस बुक पर भी ज्वाइन कर लिया था और आये दिन मेरे पिक्स और
स्टेटस लाइक और कमेंट करती रहती थी. मुझे लग ही गया था की ये जल्दी ही
म्मुझे भी घुमाने के मूड में है और यही हुआ एक दिन उसने अपनी गाड़ी खराब
होने का बहाना कर के मेरी गाड़ी में लिफ्ट ले ली.
ईनू मेरी पर्सनल लाइफ में ज्यादा घुस रही थी और मैं उसे दूर रखना चाहता था तो मैंने उसे किसी और बात में उलझा दिया, उसे उसके फ्लैट पर ड्राप कर के मैं अपने घर चला आया और सैंडी और विकास को मेसेज कर के घर पर दारू पीने बुलवा लिया जहाँ मैंने उन्हें दारु पिला कर ईनू के बारे में पर्सनल जानकारियाँ उगलवा ली. उस रात मैंने चैट पर ईनू को पिंग किया और बहुत देर तक उस से बकचोदी की, सैंडी और विकास ने जो जो जानकारी मुझे दी थी उसी के आधार पर मैंने अपनी बात चीत की स्ट्रेटेजी बनायीं और ईनू को इम्प्रेस करता चला गया. एक दिन वो मुझे एक पार्टी में ले गयी जहाँ मैंने से नाचते नाचते अच्छे से पीने पर मजबूर कर दिया और फिर उसके फ्लैट पर ड्राप करने की बजाये उसे ये बोल कर अपने फ्लैट पर ले आया कि कहीं उसके न्मकान मालिक को पता चला तो रातों रात फ्लैट खली करवा लेगा. वो मूर्ख मेरे साथ मेरे फ्लैट पर आगई और मेरे साथ ड्राइंग रूम में डांस करने लगी.
मैंने उसे पकड़ कर डांस किया और उसकी हर जायज़ नाजायज़ बात पर सिवाए हाँ के कुछ नहीं किया, अब मैंने उसे अपने काबू ममें लिया और उसे कहा “मैंने तुम्हारी इतनी बातें मानी अब तुम्हे मेरी माननी होगी” ईनू ने हैंडशेक कर के वादा किया तो मैंने उससे कहा “आई वांट टू मेक लव टू यू” वो हंसी और बोली “यू आर वेलकम डिअर फ्रेंड” और ये कह कर उसने मेरे सीने पर अपना सर रख दिया और उसे चूमने लगी. मैं उसे गेस्ट रूम में ले गया और उसके जिस्म को सहलाने लगा, ईनू नए पलट कर मेरे साथ वो किया जिसकी मुझे इतनी जल्दी आशा नहीं थी दरअसल उसने मेरे सामने अपनी पार्टी ड्रेस खोल दी, मैंने ध्यान से देखा तो उसने अंडरवियर नहीं पहन राखी थी सिर्फ ड्रेस के नीचे एक डिज़ाइनर बस्टियर पहना था और जब मैंने पूछा “तुमने अंडरवियर क्यूँ नहीं पहनी “ तो उसने जवाब दिया “पार्टी में ओपोर्च्युनिटी बहुत मिलती है ना इसलिए”.
ईनू तेबीस चौबीस की रही होगी और मेरे लिए काफी छोटी थी लेकिन जब वो लोगों को ही बाँट रही थी तो मेरे ले लेने से क्या फर्क पड़ना था, मैंने उसे काफी देर तक चूमा और उसके बदन पर अपनी उंगलियाँ फिराता रहा जिस से वो पूरे माहौल में आ गयी और मेरे लंड पर हाथ फेरने लगी. मैंने उसकी चूत में ऊँगली पेल कर उसे ऐसा तडपाया की उसकी चूत पनिया गयी और वो हाय हाय कर उठी, ईनू मेरे ऊँगली वाले कृत्य से तो गरम हो ही चुकी थी की मैंने उसकी चिकनी चूत पर चूम के उसे और भड़का दिया अब तो ईनू रोके ना रुक रही थी उसने मेरी पेंट खोल कर मेरे लवडे को ऐसा चुस्सा की मेरे तो गोटे ही मुंह में आ गए. मैंने उसको उसके बालों से पकड़ा और बिस्तर पर सीधा लिटाकर उसकी दोनों टांगें हवा में ले ली और अपना लंड उसकी नौजवाँ चूत में एक साथ पूरा का पूरा पेल दिया, ईनू इस शिद्दत से “आःह्ह्ह उह्ह्हह्ह उफ्फ्फ्फ़ माँ मरर जाउंगी फक मी सर फक मी हार्डर” बोल रही थी की मज़ा ही आ गया.
मेरा मन था की मैं उसे घोड़ी बना कर चोदु लेकिन उसने मुझे कहा “सर मुझे गोदी में ले कर फक करो ना” तो मैंने खड़ा हो गया और वो किसी बन्दर के बच्चे की तरह मुझ पर लटक गयी मैंने उसकी चूत में अपना लंड वापस से सेट किया और उसे हौले हौले उछलने को कहा. ईनू बड़े ही मज़े से मेरे लंड को अन्दर बाहर ले रही थी और उसके जिस्म की गर्मी से मैं पिघल रहा था. मैंने उसका बस्टियर भी ढीला कर के उतार फेंका तो उसके बेहतरीन मुलायम चुचे मेरे चेस्ट के बालों से रगड़ खाने लगे और इस तरह ईनू का एक्साइटमेंट और बढ़ गया वो मेरे ऊपर लती हुए ही झड़ गयी और उसने उछलना भी बंद कर दिया. अब मुझे अपनी भड़ास निकालनी तो थी ही सो मैंने उसको बेड के किनारे टिका कर उसकी एक टांग हवा में ले जा कर उसकी चूत को बीस मिनट तक और ज़ोर ज़ोर से पीला और फाइनली मैं भी झड़ गया. ईनू मेरे लंड को ले कर धन्य हो गयी थी क्यूंकि आज तक इन नए लडको को वो घुआ रही थी जबकि मैंने उसे घुमा घुमा कर चोदा रात भर, ईनू मुझसे उस हफ्ते दो तीन बार चुदी और जब उसने मेरे आगे परमानेंट करवाने की बात की तो मैंने उसे उसी तरह से निपटा दिया जिस तरह से वो सब लड़कों को मूर्ख बनाती थी.
ईनू मेरी पर्सनल लाइफ में ज्यादा घुस रही थी और मैं उसे दूर रखना चाहता था तो मैंने उसे किसी और बात में उलझा दिया, उसे उसके फ्लैट पर ड्राप कर के मैं अपने घर चला आया और सैंडी और विकास को मेसेज कर के घर पर दारू पीने बुलवा लिया जहाँ मैंने उन्हें दारु पिला कर ईनू के बारे में पर्सनल जानकारियाँ उगलवा ली. उस रात मैंने चैट पर ईनू को पिंग किया और बहुत देर तक उस से बकचोदी की, सैंडी और विकास ने जो जो जानकारी मुझे दी थी उसी के आधार पर मैंने अपनी बात चीत की स्ट्रेटेजी बनायीं और ईनू को इम्प्रेस करता चला गया. एक दिन वो मुझे एक पार्टी में ले गयी जहाँ मैंने से नाचते नाचते अच्छे से पीने पर मजबूर कर दिया और फिर उसके फ्लैट पर ड्राप करने की बजाये उसे ये बोल कर अपने फ्लैट पर ले आया कि कहीं उसके न्मकान मालिक को पता चला तो रातों रात फ्लैट खली करवा लेगा. वो मूर्ख मेरे साथ मेरे फ्लैट पर आगई और मेरे साथ ड्राइंग रूम में डांस करने लगी.
मैंने उसे पकड़ कर डांस किया और उसकी हर जायज़ नाजायज़ बात पर सिवाए हाँ के कुछ नहीं किया, अब मैंने उसे अपने काबू ममें लिया और उसे कहा “मैंने तुम्हारी इतनी बातें मानी अब तुम्हे मेरी माननी होगी” ईनू ने हैंडशेक कर के वादा किया तो मैंने उससे कहा “आई वांट टू मेक लव टू यू” वो हंसी और बोली “यू आर वेलकम डिअर फ्रेंड” और ये कह कर उसने मेरे सीने पर अपना सर रख दिया और उसे चूमने लगी. मैं उसे गेस्ट रूम में ले गया और उसके जिस्म को सहलाने लगा, ईनू नए पलट कर मेरे साथ वो किया जिसकी मुझे इतनी जल्दी आशा नहीं थी दरअसल उसने मेरे सामने अपनी पार्टी ड्रेस खोल दी, मैंने ध्यान से देखा तो उसने अंडरवियर नहीं पहन राखी थी सिर्फ ड्रेस के नीचे एक डिज़ाइनर बस्टियर पहना था और जब मैंने पूछा “तुमने अंडरवियर क्यूँ नहीं पहनी “ तो उसने जवाब दिया “पार्टी में ओपोर्च्युनिटी बहुत मिलती है ना इसलिए”.
ईनू तेबीस चौबीस की रही होगी और मेरे लिए काफी छोटी थी लेकिन जब वो लोगों को ही बाँट रही थी तो मेरे ले लेने से क्या फर्क पड़ना था, मैंने उसे काफी देर तक चूमा और उसके बदन पर अपनी उंगलियाँ फिराता रहा जिस से वो पूरे माहौल में आ गयी और मेरे लंड पर हाथ फेरने लगी. मैंने उसकी चूत में ऊँगली पेल कर उसे ऐसा तडपाया की उसकी चूत पनिया गयी और वो हाय हाय कर उठी, ईनू मेरे ऊँगली वाले कृत्य से तो गरम हो ही चुकी थी की मैंने उसकी चिकनी चूत पर चूम के उसे और भड़का दिया अब तो ईनू रोके ना रुक रही थी उसने मेरी पेंट खोल कर मेरे लवडे को ऐसा चुस्सा की मेरे तो गोटे ही मुंह में आ गए. मैंने उसको उसके बालों से पकड़ा और बिस्तर पर सीधा लिटाकर उसकी दोनों टांगें हवा में ले ली और अपना लंड उसकी नौजवाँ चूत में एक साथ पूरा का पूरा पेल दिया, ईनू इस शिद्दत से “आःह्ह्ह उह्ह्हह्ह उफ्फ्फ्फ़ माँ मरर जाउंगी फक मी सर फक मी हार्डर” बोल रही थी की मज़ा ही आ गया.
मेरा मन था की मैं उसे घोड़ी बना कर चोदु लेकिन उसने मुझे कहा “सर मुझे गोदी में ले कर फक करो ना” तो मैंने खड़ा हो गया और वो किसी बन्दर के बच्चे की तरह मुझ पर लटक गयी मैंने उसकी चूत में अपना लंड वापस से सेट किया और उसे हौले हौले उछलने को कहा. ईनू बड़े ही मज़े से मेरे लंड को अन्दर बाहर ले रही थी और उसके जिस्म की गर्मी से मैं पिघल रहा था. मैंने उसका बस्टियर भी ढीला कर के उतार फेंका तो उसके बेहतरीन मुलायम चुचे मेरे चेस्ट के बालों से रगड़ खाने लगे और इस तरह ईनू का एक्साइटमेंट और बढ़ गया वो मेरे ऊपर लती हुए ही झड़ गयी और उसने उछलना भी बंद कर दिया. अब मुझे अपनी भड़ास निकालनी तो थी ही सो मैंने उसको बेड के किनारे टिका कर उसकी एक टांग हवा में ले जा कर उसकी चूत को बीस मिनट तक और ज़ोर ज़ोर से पीला और फाइनली मैं भी झड़ गया. ईनू मेरे लंड को ले कर धन्य हो गयी थी क्यूंकि आज तक इन नए लडको को वो घुआ रही थी जबकि मैंने उसे घुमा घुमा कर चोदा रात भर, ईनू मुझसे उस हफ्ते दो तीन बार चुदी और जब उसने मेरे आगे परमानेंट करवाने की बात की तो मैंने उसे उसी तरह से निपटा दिया जिस तरह से वो सब लड़कों को मूर्ख बनाती थी.
सेल्समेन की तो निकल पड़ी भरी दोपहर में
हाय दोस्तों, मेरा नाम काया है। ये मेरी एक सेल्समेन के साथ मस्त chudai
ki kahani है। एक दोपहर मैं अपने पति की चुदाई याद कर रही थी, तभी दरवाजे
पे वो हैण्डसम सेल्समेन आया। मैं बहुत प्यासी थी उस समय। अब मैं Hindi Sex
Story पर आती हूँ-
काया: (फोन पर अपने पति से बात करते हुए) क्या, तुम्हें कुछ दिन और दुबई में रहना पड़ेगा?
विनोद: हाँ यार, रहना तो पड़ेगा, काम ही इतना ज़रूरी है। दो महीने और लग जायेंगे।
काया: क्या दो महीने और! प्लीज़ यार, मैं तो अकेले बिलकुल बोर हो चुकी हूँ।
विनोद: और मेरा हाल तो तुम पूछो मत। रात को नींद भी नहीं आती तुम्हारे बिना।
काया: रात को नींद तो मुझे भी नहीं आती आज कल।
विनोद: हाँ सिर्फ़ तुम्हारे बारे मे सोचता रहता हूँ और प्लान बनाता रहता हूँ की घर आने पर तुम्हारे साथ क्या-क्या करूँगा।
काया: अच्छा तो बताओ क्या-क्या करोगे?
विनोद: वो तो सरपराईज़ ही रहने दो अभी। फिलहाल तो मैं मुठ मार के ही काम चला रहा हूँ।
काया: चल झूठे। तुमने कोई लडकी फँसा ली होगी अब तक।
विनोद: अभी तक तो नहीं मगर वो जो मेरा दोस्त पवन रहता है ना यहाँ? उसकी बीवी सोनिया मेरे को लाईन देती रहेती है।
काया: अरे वाह तो तुम्हारी तो ऐश है। तो तुम भी लाईन दो ना।
विनोद: तुम्हे बुरा नहीं लगेगा?
काया: नहीं इतने दिन हो गये हैं, मैं समझती हूँ की तुमसे नहीं रहा जा रहा होगा।
विनोद: और तुम? तुम कैसे काबू करती हो अपने आप को?
काया: हा.. हा… हा… मैं भी अपनी अँगुली या बैंगन, खीरे वगैरह से अपनी चूत के साथ थोड़ा खेल लेती हूँ रात को सोने से पहेले।
विनोद: तो तुम भी कोई ढूँढो ना अपने टाइम पास के लिये।
काया: तुम्हें अच्छा लगेगा?
विनोद: हाँ मुझे सोनिया के साथ चुदाई करने में और भी मज़ा आयेगा जब मैं सोचूँगा की तुम भी वहाँ किसी स्टड के साथ मजे ले रही हो।
काया: ठीक है, तो मैं भी ढूँढती हूँ कोई।
विनोद: हाँ फिर हम दोनों फोन पर एक दूसरे को अपना अपना एक्सपीरियंस बतायेंगे। बहुत मज़ा आयेगा।
काया: इससे हमारे रिश्ते मे कोई दिक्कत तो नहीं आ जायेगी?
विनोद: अरे नहीं पगली, बल्कि हमारा रिश्ता और गहरा हो जायेगा।
काया: सच?
विनोद: हाँ बिलकुल। और सोचो जब हम मिलेंगे और अपने साथ हुए तजुर्बों को एक दूसरे को मज़े से एकटिंग कर के बयान करेंगे को हमारी चुदाई कितनी धमाकेदार होगी।
काया: (हँसते हुए) हैवान कहीं के!
विनोद: अरे मेरी जान, हैवानियत तो मैं तुम्हे मिलने पर दिखाऊँगा जब तब तुम मुझे किसी स्टड को सिड्यूस करने वाली घटना बताओगी।
काया: और तुम भी मेरा सेक्स की प्यासी शेरनी वाली सूरत देखोगे जब तुम मुझे बताओगे कि तुमने सोनिया को कैसे अपने साथ चुदाई के लिये राज़ी किया।
विनोद: ठीक है, आइ मिस यू! बॉय!
दो दिनों बाद, काया बाज़ार से शॉपिंग करके लौटी थी और नींबू के साथ वोडका का तगड़ा सा पैग बना कर चुसकियाँ ले रही थी। उसका इरादा एक-दो पैग पीने के बाद अपने कपड़े उतार कर बिस्तर में जा कर कोई ब्लू-फिल्म देखते हुए अपनी चूत को मोटे से केले से चोदने का था। एक पैग खत्म करने के बाद काया दूसरा पैग बनाने के लिये उठी ही थी कि उसे दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ आयी।
काया: अरे ये कौन आ गया? चलो देखा जायेगा… अच्छा हुआ अभी मैंने कपड़े नही उतारे थे।
काया मार्बल के फर्श पर अपने सैंडल की हील खटखटाती बेमन से दरवाज़े की तरफ बढ़ी। उसने दरवाज़ा खोला तो एक लगभग २० साल के नौजवान और गठीले लड़के को खडा पाया। उसे देखते ही काया के शरीर मे एक लहर सी दौड़ गयी।
काया: जी कहिये?
सेल्समैन: गुड मार्निंग मैडम! मैं अपनी कम्पनी के समान का प्रचार कर रहा हूँ।
काया: अच्छा, क्या बेच रहे हो?
सेल्समैन: जी हमारी कम्पनी लेडीज़ पैन्टीज़ और ब्रा बनाती है।
काया: अच्छा, तो फिर तुम्हारी कम्पनी सेल्स गर्ल्ज़ को क्यों नहीं भेजती बेचने के लिये?
सेल्समैन: जी मैडम, आज कल की लेडीज़ तो हेन्डसम सेल्समैन की ही डिमान्ड करती हैं। अगर आप को कोई ऐतराज़ है तो मैं चला जाता हूँ और कल किसी सेल्स गर्ल को भेज दूँगा।
काया: नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, मुझे तुम से कोई प्राब्लम नहीं है।
सेल्समैन: वैरी गुड। थैंक यू मैडम!
काया: आओ इधर बैठ जाओ। पानी पियोगे या वोडका…?
सेल्समैन: जी नहीं, थेन्क यू।
काया: कितने सालों से तुम ये काम कर रहे हो?
सेल्समैन: दो साल हो गये हैं लगभग।
काया: (हँसते हुए) तो काफ़ी एक्सपीरियंस है!
सेल्समैन: जी हाँ।
काया: तो फिर तो तुम काफ़ी लेडीज़ को खुश कर चुके हो… हा। हा। हा।
सेल्समैन: (थोड़ा शर्माते हुए) जी हाँ कस्टमर्स.. ऑय मीन लेडीज़ को खुश करना ही मेरा काम है।
काया: चलो देखते हैं। मेरी पसन्द थोडी हट के है।
काया ने अपने लिये दूसरा पैग तैयार किया और फिर एक सिप ले कर बोली।
काया: वैसे एक बात तुमने सही कही थी की तुम्हारी कम्पनी के सेल्समैन हेन्डसम हैं।
सेल्समैन: थेन्क यू वेरी मच।
काया: चलो तो दिखाओ अपना सामान।
सेल्समैन: जी??? जी अच्छा मगर पहले बताइये कि आप का साईज़ क्या है। दर असल सारे गार्मेन्ट्स मेरी गाड़ी मे बक्सों मे पड़े हैं और मैं ठीक साईज़ वाला बक्सा निकाल के ले आऊँगा।
काया: (नासमझी की एकटिंग करते हुए) किस का साईज़?
सेल्समैन: आप कौन सा ब्रा साईज़ और कौन सा पैन्टी साईज़ पहनती हैं?
काया: मेरे खयाल से ब्रा साईज़ थर्टी-सिक्स है। अच्छा देखतें हैं तुम कितने अच्छे सेल्समैन हो। मुझे देख कर बताओ मेरा साईज़ क्या होगा?
सेल्समैन: (काया के बूब्स को घूरते हुए) जी मेरे खयाल से थर्टी-फोरहोना चाहिये। आप कहें तो मैं नाप के बताऊँ?
काया: हाँ नाप के देखो।
सेल्समैन ने इंची टेप को काया की पीठ के दोनो तरफ़ से कन्धों के नीचे से घुमा कर उसके बूब्स के नीचे दोनो सिरों को जोड दिया। उसकी अँगुलियाँ काया के बूब्स को हल्के से छूईं और साईज़ पढने के लिये वो अपना मुँह टेप के बिल्कुल पास ले आया। काया ने उसकी गरम साँसें अपने बूब्स पर महसूस कीं और उसी समय यह तय कर लिया की विनोद के साथ बनाये प्लैन को वो आज हकीकत में बदल देगी।
सेल्समैन: आपका अंदाज़ा बिलकुल सही था। आपका साईज़ थर्टी-सिक्स ही है।
सेल्समैन: अच्छा मैडम, आपको अपना कप साईज़ तो मालुम होगा?
काया: (जानबूझ कर) नहीं, मुझे नहीं मालुम।
सेल्समैन: तो फिर आप अपना कोई पुराना ब्रा दे दीजिये। मैं देख कर पता लगा लूँगा।
काया: नहीं, मेरे पुराने ब्रा मे कोई भी ऐसा नहीं है जो मुझे बिलकुल फ़िट आता हो, तुम अपने हाथों से नाप के ही देख लो ना।
सेल्समैन: (थोडे आश्चर्य के साथ) ज..जी.. मैडम?
काया का दूसरा पैग भी करीब-करीब खत्म होने आया था और उसे हल्का सा मीठा सुरूर महसूस हो रहा था। जो थोड़ी बहुत हिचकिचाहट थी वो भी दूर हो गयी थी।
काया: सॉरी अगर मैं तुम्हें अन-कमफरटेबल कर रही हूँ तो। मेरे पति मुल्क के बहार गयें हैं और मैं बोर हो रही थी, इसलिये तुम्हें जल्दी जाने देना नहीं चाहती।
सेल्समैन: आप चिंता मत करो। आप जब तक चाहें मैं यहीं आप के साथ रहुँगा। अच्छा कितने दिनों से बाहर हैं आप के हस्बैंड?
काया: तीन महीने हो गयें हैं और अभी दो-तीन महीने और लगेंगे।
सेल्समैन: ओ माई गाड! ये तो बहुत लम्बा टाईम है!
काया: हाँ! अब तो हद हो गयी है। आखिर मेरी भी कुछ ज़रूरतें हैं।
सेल्समैन: जी मैं समझ सकता हूँ।
काया: तुम्हारी शादी हुई है?
सेल्समैन: जी अभी तो मैं काफी छोटा हूँ शादी के लिये।
काया: कोई गर्लफ़्रेन्ड?
सेल्समैन: नहीं वो भी नहीं।
काया: तो फिर तुम कुछ नहीं समझ सकते। वैसे तुम जैसे हेन्डसम लडके की कोई गर्लफ़्रेन्ड कैसे नहीं है?
सेल्समैन: जी मेरे पास टाईम ही नहीं है। दिन में मैं कालेज जाता हूँ और शाम को मैं ये पार्ट टाईम जाब करता हूँ।
काया: ओके समझी। चलो छोडो… ले लो मेरा नाप।
सेल्समैन: जी अच्छा।
सेल्समैन काया के करीब आया और इंची टेप को काया की पीठ के दोनो तरफ़ से कन्धों के नीचे से घुमा कर इस बार उसके बूब्स की गोलाइयों के साईज़ का अंदाज़ा लगाने की कोशिश करने लगा।
काया: (हल्की से मुस्कुराहट देते हुए) अगर तुम दूर से इतनी लूज़ली साईज़ नापोगे तो कैसे पता चलेगा?
सेल्समैन: (अब कम भय के साथ) आप ठीक कह रहीं हैं मैडम।
सेल्समैन ने अब अपने हाथ काया के टॉप के उपर से उसके बूब्स पर रख दिये और थोड़ा सा दबाया।
सेल्समैन: जी मेरे हिसाब से आपका कप साईज़ डीडी होना चाहिये। आपके टॉप और ब्रा की वजह से थोड़ा ज़्यादा आ रहा है।
काया: नहीं नहीं… मुझे बिलकुल ठीक साईज़ ही चाहिये। मैं टॉप और ब्रा उतार देती हूँ और तुम नाप लो।
सेल्समैन: (आश्चर्य के साथ) ज..जी.. मैडम? आप जैसा कहें मैडम।
काया: जब मैं इतना सब कर रही हूँ तो तुम मुझे काया बुला सकते हो।
सेल्समैन: जी.. मैं कैसे… मैं तो आपसे काफी छोटा हूँ…?
काया: काया नहीं तो काया जी तो कह सकते हो?
सेल्समैन: ओके कायाजी… आप भी मुझे विकास बुला सकती हैं।
काया ने अपना टॉप खींच कर उतार दिया और पीछे लगे ब्रा के हुक्स खोलने का प्रयास करने लगी।
काया: अरे विकास, हुक्स खोलने मे मेरी मदद करो ना।
काया पीछे घूम गयी और विकास ने उसके ब्रा की पट्टी को दोनो हाथों से पकड़ कर हुक्स खोल दिये। काया अब टॉपलेस हो कर विकास की तरफ़ घूम गयी। विकास ने उसके बूब्स को कुछ देर निहारा और फिर अपने हाथों को उसके बूब्स पर रख कर नापने लगा। उसने काया के बूब्स को थोड़ा दबा दिया। काया ने अपनी आँखें बन्द करके हलकी सी आह भरी। विकास अब तक काया के इरादे समझ चुका था कि ये चुदाई की भूखी औरत उससे क्या चाहती है!
विकास: काया जी आपका बस्ट साईज़ आपके बैंड साईज़ से छः इंच ज्यादा है… तो आपकाकप साईज़ डीडी है। वाह ३६ डीडी तो हर लडकी का सपना होता है। आप बहुत लकी हो।
काया: (आँख मारते हुए) हाँ विकास, थेन्क यू। मगर इस समय तो मुझे तुम लकी लग रहे हो
विकास: यह तो सच है। अच्छा पैन्टी का साईज़ भी नाप लें?
काया: हम, मगर यहाँ नहीं। बेडरूम मे चलते हैं। पर उसके पहले वोडका-निंबू का एक-एक जाम हो जाये।
विकास: ठीक है।
काया ने दो पैग तैयार किये। दोनों ने अपने-अपने पैग खत्म किये और काया विकास का हाथ पकड़ कर उसे बेडरूम मे ले गयी और बेड के किनारे पर बैठ गयी। काया तो तीन पैग के बाद पूरी मस्ती में थी।
काया: हाँ अब तुम मेरी पैन्टी क साईज़ नाप सकते हो।
विकास ने काया की स्कर्ट उठाया और उसकी पैन्टी के उपर से उसकी कमर पर हाथ फेरा।
विकास: काया ये स्कर्ट बीच मे अड़ रही है। इसे उतारना पड़ेगा।
काया: तो सोच क्या रहे हो?
विकास ने काया की स्कर्ट की साईड पर लगी ज़िप को खोल दिया और खींचने लगा। काया ने भी अपनी गाँड उठा कर स्कर्ट उतारने मे उसकी मदद की। काया ने एकछोटी सी पैन्टी पहनी हुई थी जिसमे से उसकी चूत की शेप उभर के दिखायी पढ़ रही थी। विकास से रहा नहीं गया और वो पैन्टी के उपर से काया की चूत को सहलाने लगा। काया के बदन में उत्तेजना की एक लहर सी दौड गयी और उसने अपने घुटनों को जोड़ते हुए विकास का हाथ को अपनी जाँघों के बीच मे जकड लिया।
काया: क्यों कैसी लगी मेरी पैन्टी?
विकास: अच्छी है, मगर मुझे उतार के देखनी पड़ेगी।
काया: अरे वाह, मैं तुम्हारे सामने सिर्फ़ पैन्टी और सैंडल पहने बैठी हूँ और तुमने पूरे कपड़े पहन रखे हैं। ये तो ठीक नहीं है।
विकास: तो उतार लो ना जो आपको उतारना है। मना किसने किया है।
काया ने विकास की शर्ट के बटन खोले और अपने हाथ उसकी कसी हुई चेस्ट पर फेरने लगी।
काया: वाह! तुम्हारी बोडी तो बड़ी मैस्क्यूलीन है।
विकास: हाँ मैं हर रोज़ ऐक्सरसाईज़ करता हूँ।
काया ने फिर विकास की बेल्ट उतारी और उसकी पेन्ट आगे से खोल कर नीचे खींच दी। विकास का तना हुआ लन्ड उसके अन्डरवियर में से तोप की तरह उभर रहा था। काया ने अन्डरवीयर के उपर से विकास के लन्ड को अपनी मुठी मे जकड़ लिया।
काया: या अल्लाह! तुम्हारा लन्ड तो बहुत ही मोटा और तगड़ा है। इसकी भी रोज़ ऐक्सरसाईज़ करते हो क्या?
विकास: हाँ इसकी भी रोज़ मालिश होती है मेरी मुट्ठी में।
काया: चलो अब हम एक जैसी हालत मे हैं – अपने अपने अन्डरवीयर में। आओ मुझे अपने आगोश में ले लो ना।
यह कह कर काया खड़ी हो कर और विकास से चिपट गयी। विकास ने कस कर काया को अपनी बाँहों में जकड़ लिया। काया के बूब्स उसकी छती पर बुरी तरह से दबने लगे। विकास का खड़ा लन्ड अंडरवीयर के नीचे से काया की जाँघों के बीच मे उसकी पैन्टीपर रगड़ने लगा। फिर विकास ने काया के गले की साईड पर एक किस किया तो काया ने एक लम्बी आह भरी। अब तक दोनो ही बहुत गरम हो चुके थे। विकास काया की पैन्टी के उपर से उसकी गाँड पर हाथ फेरने लगा तो काया ने विकास के होंठों को चूसना शुरू कर दिया। फिर विकास ने काया की पैन्टी के अन्दर हाथ डाल कर उसकी चूत पर अँगुली फिरायी। काया की चूत अब तक काफ़ी भीग चुकी थी।
———————————
विनोद: हाँ यार, रहना तो पड़ेगा, काम ही इतना ज़रूरी है। दो महीने और लग जायेंगे।
काया: क्या दो महीने और! प्लीज़ यार, मैं तो अकेले बिलकुल बोर हो चुकी हूँ।
विनोद: और मेरा हाल तो तुम पूछो मत। रात को नींद भी नहीं आती तुम्हारे बिना।
काया: रात को नींद तो मुझे भी नहीं आती आज कल।
विनोद: हाँ सिर्फ़ तुम्हारे बारे मे सोचता रहता हूँ और प्लान बनाता रहता हूँ की घर आने पर तुम्हारे साथ क्या-क्या करूँगा।
काया: अच्छा तो बताओ क्या-क्या करोगे?
विनोद: वो तो सरपराईज़ ही रहने दो अभी। फिलहाल तो मैं मुठ मार के ही काम चला रहा हूँ।
काया: चल झूठे। तुमने कोई लडकी फँसा ली होगी अब तक।
विनोद: अभी तक तो नहीं मगर वो जो मेरा दोस्त पवन रहता है ना यहाँ? उसकी बीवी सोनिया मेरे को लाईन देती रहेती है।
काया: अरे वाह तो तुम्हारी तो ऐश है। तो तुम भी लाईन दो ना।
विनोद: तुम्हे बुरा नहीं लगेगा?
काया: नहीं इतने दिन हो गये हैं, मैं समझती हूँ की तुमसे नहीं रहा जा रहा होगा।
विनोद: और तुम? तुम कैसे काबू करती हो अपने आप को?
काया: हा.. हा… हा… मैं भी अपनी अँगुली या बैंगन, खीरे वगैरह से अपनी चूत के साथ थोड़ा खेल लेती हूँ रात को सोने से पहेले।
मस्ती चढ़ी थी काया के तन बदन पे
काया: तुम्हें अच्छा लगेगा?
विनोद: हाँ मुझे सोनिया के साथ चुदाई करने में और भी मज़ा आयेगा जब मैं सोचूँगा की तुम भी वहाँ किसी स्टड के साथ मजे ले रही हो।
काया: ठीक है, तो मैं भी ढूँढती हूँ कोई।
विनोद: हाँ फिर हम दोनों फोन पर एक दूसरे को अपना अपना एक्सपीरियंस बतायेंगे। बहुत मज़ा आयेगा।
काया: इससे हमारे रिश्ते मे कोई दिक्कत तो नहीं आ जायेगी?
विनोद: अरे नहीं पगली, बल्कि हमारा रिश्ता और गहरा हो जायेगा।
काया: सच?
विनोद: हाँ बिलकुल। और सोचो जब हम मिलेंगे और अपने साथ हुए तजुर्बों को एक दूसरे को मज़े से एकटिंग कर के बयान करेंगे को हमारी चुदाई कितनी धमाकेदार होगी।
काया: (हँसते हुए) हैवान कहीं के!
विनोद: अरे मेरी जान, हैवानियत तो मैं तुम्हे मिलने पर दिखाऊँगा जब तब तुम मुझे किसी स्टड को सिड्यूस करने वाली घटना बताओगी।
काया: और तुम भी मेरा सेक्स की प्यासी शेरनी वाली सूरत देखोगे जब तुम मुझे बताओगे कि तुमने सोनिया को कैसे अपने साथ चुदाई के लिये राज़ी किया।
विनोद: ठीक है, आइ मिस यू! बॉय!
दो दिनों बाद, काया बाज़ार से शॉपिंग करके लौटी थी और नींबू के साथ वोडका का तगड़ा सा पैग बना कर चुसकियाँ ले रही थी। उसका इरादा एक-दो पैग पीने के बाद अपने कपड़े उतार कर बिस्तर में जा कर कोई ब्लू-फिल्म देखते हुए अपनी चूत को मोटे से केले से चोदने का था। एक पैग खत्म करने के बाद काया दूसरा पैग बनाने के लिये उठी ही थी कि उसे दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ आयी।
काया: अरे ये कौन आ गया? चलो देखा जायेगा… अच्छा हुआ अभी मैंने कपड़े नही उतारे थे।
काया मार्बल के फर्श पर अपने सैंडल की हील खटखटाती बेमन से दरवाज़े की तरफ बढ़ी। उसने दरवाज़ा खोला तो एक लगभग २० साल के नौजवान और गठीले लड़के को खडा पाया। उसे देखते ही काया के शरीर मे एक लहर सी दौड़ गयी।
काया: जी कहिये?
सेल्समैन: गुड मार्निंग मैडम! मैं अपनी कम्पनी के समान का प्रचार कर रहा हूँ।
काया: अच्छा, क्या बेच रहे हो?
सेल्समैन: जी हमारी कम्पनी लेडीज़ पैन्टीज़ और ब्रा बनाती है।
काया: अच्छा, तो फिर तुम्हारी कम्पनी सेल्स गर्ल्ज़ को क्यों नहीं भेजती बेचने के लिये?
सेल्समैन: जी मैडम, आज कल की लेडीज़ तो हेन्डसम सेल्समैन की ही डिमान्ड करती हैं। अगर आप को कोई ऐतराज़ है तो मैं चला जाता हूँ और कल किसी सेल्स गर्ल को भेज दूँगा।
काया: नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, मुझे तुम से कोई प्राब्लम नहीं है।
सेल्समैन: वैरी गुड। थैंक यू मैडम!
काया: आओ इधर बैठ जाओ। पानी पियोगे या वोडका…?
सेल्समैन: जी नहीं, थेन्क यू।
काया: कितने सालों से तुम ये काम कर रहे हो?
सेल्समैन: दो साल हो गये हैं लगभग।
काया: (हँसते हुए) तो काफ़ी एक्सपीरियंस है!
सेल्समैन: जी हाँ।
काया: तो फिर तो तुम काफ़ी लेडीज़ को खुश कर चुके हो… हा। हा। हा।
सेल्समैन: (थोड़ा शर्माते हुए) जी हाँ कस्टमर्स.. ऑय मीन लेडीज़ को खुश करना ही मेरा काम है।
काया: चलो देखते हैं। मेरी पसन्द थोडी हट के है।
काया ने अपने लिये दूसरा पैग तैयार किया और फिर एक सिप ले कर बोली।
काया: वैसे एक बात तुमने सही कही थी की तुम्हारी कम्पनी के सेल्समैन हेन्डसम हैं।
सेल्समैन: थेन्क यू वेरी मच।
काया: चलो तो दिखाओ अपना सामान।
सेल्समैन: जी??? जी अच्छा मगर पहले बताइये कि आप का साईज़ क्या है। दर असल सारे गार्मेन्ट्स मेरी गाड़ी मे बक्सों मे पड़े हैं और मैं ठीक साईज़ वाला बक्सा निकाल के ले आऊँगा।
काया: (नासमझी की एकटिंग करते हुए) किस का साईज़?
सेल्समैन: आप कौन सा ब्रा साईज़ और कौन सा पैन्टी साईज़ पहनती हैं?
काया: मेरे खयाल से ब्रा साईज़ थर्टी-सिक्स है। अच्छा देखतें हैं तुम कितने अच्छे सेल्समैन हो। मुझे देख कर बताओ मेरा साईज़ क्या होगा?
सेल्समैन: (काया के बूब्स को घूरते हुए) जी मेरे खयाल से थर्टी-फोरहोना चाहिये। आप कहें तो मैं नाप के बताऊँ?
काया: हाँ नाप के देखो।
सेल्समैन ने इंची टेप को काया की पीठ के दोनो तरफ़ से कन्धों के नीचे से घुमा कर उसके बूब्स के नीचे दोनो सिरों को जोड दिया। उसकी अँगुलियाँ काया के बूब्स को हल्के से छूईं और साईज़ पढने के लिये वो अपना मुँह टेप के बिल्कुल पास ले आया। काया ने उसकी गरम साँसें अपने बूब्स पर महसूस कीं और उसी समय यह तय कर लिया की विनोद के साथ बनाये प्लैन को वो आज हकीकत में बदल देगी।
सेल्समैन: आपका अंदाज़ा बिलकुल सही था। आपका साईज़ थर्टी-सिक्स ही है।
सेल्समैन: अच्छा मैडम, आपको अपना कप साईज़ तो मालुम होगा?
काया: (जानबूझ कर) नहीं, मुझे नहीं मालुम।
सेल्समैन: तो फिर आप अपना कोई पुराना ब्रा दे दीजिये। मैं देख कर पता लगा लूँगा।
काया: नहीं, मेरे पुराने ब्रा मे कोई भी ऐसा नहीं है जो मुझे बिलकुल फ़िट आता हो, तुम अपने हाथों से नाप के ही देख लो ना।
सेल्समैन: (थोडे आश्चर्य के साथ) ज..जी.. मैडम?
काया का दूसरा पैग भी करीब-करीब खत्म होने आया था और उसे हल्का सा मीठा सुरूर महसूस हो रहा था। जो थोड़ी बहुत हिचकिचाहट थी वो भी दूर हो गयी थी।
काया: सॉरी अगर मैं तुम्हें अन-कमफरटेबल कर रही हूँ तो। मेरे पति मुल्क के बहार गयें हैं और मैं बोर हो रही थी, इसलिये तुम्हें जल्दी जाने देना नहीं चाहती।
सेल्समैन: आप चिंता मत करो। आप जब तक चाहें मैं यहीं आप के साथ रहुँगा। अच्छा कितने दिनों से बाहर हैं आप के हस्बैंड?
काया: तीन महीने हो गयें हैं और अभी दो-तीन महीने और लगेंगे।
सेल्समैन: ओ माई गाड! ये तो बहुत लम्बा टाईम है!
काया: हाँ! अब तो हद हो गयी है। आखिर मेरी भी कुछ ज़रूरतें हैं।
सेल्समैन: जी मैं समझ सकता हूँ।
काया: तुम्हारी शादी हुई है?
सेल्समैन: जी अभी तो मैं काफी छोटा हूँ शादी के लिये।
काया: कोई गर्लफ़्रेन्ड?
सेल्समैन: नहीं वो भी नहीं।
काया: तो फिर तुम कुछ नहीं समझ सकते। वैसे तुम जैसे हेन्डसम लडके की कोई गर्लफ़्रेन्ड कैसे नहीं है?
सेल्समैन: जी मेरे पास टाईम ही नहीं है। दिन में मैं कालेज जाता हूँ और शाम को मैं ये पार्ट टाईम जाब करता हूँ।
काया: ओके समझी। चलो छोडो… ले लो मेरा नाप।
सेल्समैन: जी अच्छा।
सेल्समैन काया के करीब आया और इंची टेप को काया की पीठ के दोनो तरफ़ से कन्धों के नीचे से घुमा कर इस बार उसके बूब्स की गोलाइयों के साईज़ का अंदाज़ा लगाने की कोशिश करने लगा।
काया: (हल्की से मुस्कुराहट देते हुए) अगर तुम दूर से इतनी लूज़ली साईज़ नापोगे तो कैसे पता चलेगा?
सेल्समैन: (अब कम भय के साथ) आप ठीक कह रहीं हैं मैडम।
सेल्समैन ने अब अपने हाथ काया के टॉप के उपर से उसके बूब्स पर रख दिये और थोड़ा सा दबाया।
सेल्समैन: जी मेरे हिसाब से आपका कप साईज़ डीडी होना चाहिये। आपके टॉप और ब्रा की वजह से थोड़ा ज़्यादा आ रहा है।
काया: नहीं नहीं… मुझे बिलकुल ठीक साईज़ ही चाहिये। मैं टॉप और ब्रा उतार देती हूँ और तुम नाप लो।
सेल्समैन: (आश्चर्य के साथ) ज..जी.. मैडम? आप जैसा कहें मैडम।
काया: जब मैं इतना सब कर रही हूँ तो तुम मुझे काया बुला सकते हो।
सेल्समैन: जी.. मैं कैसे… मैं तो आपसे काफी छोटा हूँ…?
काया: काया नहीं तो काया जी तो कह सकते हो?
सेल्समैन: ओके कायाजी… आप भी मुझे विकास बुला सकती हैं।
काया ने अपना टॉप खींच कर उतार दिया और पीछे लगे ब्रा के हुक्स खोलने का प्रयास करने लगी।
काया: अरे विकास, हुक्स खोलने मे मेरी मदद करो ना।
काया पीछे घूम गयी और विकास ने उसके ब्रा की पट्टी को दोनो हाथों से पकड़ कर हुक्स खोल दिये। काया अब टॉपलेस हो कर विकास की तरफ़ घूम गयी। विकास ने उसके बूब्स को कुछ देर निहारा और फिर अपने हाथों को उसके बूब्स पर रख कर नापने लगा। उसने काया के बूब्स को थोड़ा दबा दिया। काया ने अपनी आँखें बन्द करके हलकी सी आह भरी। विकास अब तक काया के इरादे समझ चुका था कि ये चुदाई की भूखी औरत उससे क्या चाहती है!
विकास: काया जी आपका बस्ट साईज़ आपके बैंड साईज़ से छः इंच ज्यादा है… तो आपकाकप साईज़ डीडी है। वाह ३६ डीडी तो हर लडकी का सपना होता है। आप बहुत लकी हो।
काया: (आँख मारते हुए) हाँ विकास, थेन्क यू। मगर इस समय तो मुझे तुम लकी लग रहे हो
विकास: यह तो सच है। अच्छा पैन्टी का साईज़ भी नाप लें?
काया: हम, मगर यहाँ नहीं। बेडरूम मे चलते हैं। पर उसके पहले वोडका-निंबू का एक-एक जाम हो जाये।
विकास: ठीक है।
काया ने दो पैग तैयार किये। दोनों ने अपने-अपने पैग खत्म किये और काया विकास का हाथ पकड़ कर उसे बेडरूम मे ले गयी और बेड के किनारे पर बैठ गयी। काया तो तीन पैग के बाद पूरी मस्ती में थी।
काया: हाँ अब तुम मेरी पैन्टी क साईज़ नाप सकते हो।
विकास ने काया की स्कर्ट उठाया और उसकी पैन्टी के उपर से उसकी कमर पर हाथ फेरा।
विकास: काया ये स्कर्ट बीच मे अड़ रही है। इसे उतारना पड़ेगा।
काया: तो सोच क्या रहे हो?
विकास ने काया की स्कर्ट की साईड पर लगी ज़िप को खोल दिया और खींचने लगा। काया ने भी अपनी गाँड उठा कर स्कर्ट उतारने मे उसकी मदद की। काया ने एकछोटी सी पैन्टी पहनी हुई थी जिसमे से उसकी चूत की शेप उभर के दिखायी पढ़ रही थी। विकास से रहा नहीं गया और वो पैन्टी के उपर से काया की चूत को सहलाने लगा। काया के बदन में उत्तेजना की एक लहर सी दौड गयी और उसने अपने घुटनों को जोड़ते हुए विकास का हाथ को अपनी जाँघों के बीच मे जकड लिया।
काया: क्यों कैसी लगी मेरी पैन्टी?
विकास: अच्छी है, मगर मुझे उतार के देखनी पड़ेगी।
काया: अरे वाह, मैं तुम्हारे सामने सिर्फ़ पैन्टी और सैंडल पहने बैठी हूँ और तुमने पूरे कपड़े पहन रखे हैं। ये तो ठीक नहीं है।
विकास: तो उतार लो ना जो आपको उतारना है। मना किसने किया है।
काया ने विकास की शर्ट के बटन खोले और अपने हाथ उसकी कसी हुई चेस्ट पर फेरने लगी।
काया: वाह! तुम्हारी बोडी तो बड़ी मैस्क्यूलीन है।
विकास: हाँ मैं हर रोज़ ऐक्सरसाईज़ करता हूँ।
काया ने फिर विकास की बेल्ट उतारी और उसकी पेन्ट आगे से खोल कर नीचे खींच दी। विकास का तना हुआ लन्ड उसके अन्डरवियर में से तोप की तरह उभर रहा था। काया ने अन्डरवीयर के उपर से विकास के लन्ड को अपनी मुठी मे जकड़ लिया।
काया: या अल्लाह! तुम्हारा लन्ड तो बहुत ही मोटा और तगड़ा है। इसकी भी रोज़ ऐक्सरसाईज़ करते हो क्या?
विकास: हाँ इसकी भी रोज़ मालिश होती है मेरी मुट्ठी में।
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Chacha ne berahmi se apni beti ko choda
Ye ek sacchi kahani hai. jaha baap ne apni beti ko choda.Mai
bahut chota tha or sex ke bare mai kuch bhi samajh nahi pata tha wo
mere sath soti the mujhe nahaliti the mere lund ko kichti the mai kuch
bhi samajh nahi pata tha raat ko sote samai wo mere lund mai hath daal
ke soti oe mere ko aapna hath aapne boobs pe rakhne ko kahat ye sab hote
hote 1 mahine beet gai aachanak 1 din aunty ki tabyat kharab ho gai or
unahe hospital le jana pada waha jene per pata chala ki aunty ki lungs
mai infection Hi cancer ke jiske karan wo aab chand dino ki meh man hai
greeshma aaksar jab mai sota tha to aapene mummy papa ke kamare ke pas
rat ko ja kar key hole se kuch dhekhti thi jab mai puch ta tha kya dhekh
ti ho to jabab deti ki kuch nahi tumehe dhekhna hai to dhekh lo maine 1
baar dhekha to uncal aunty ko kiss kar rahai the.ye dhekhne ke baad
usne kaha tum ja k so jawo mai aati hu is ke baad wo aadhe ghunte baad
aye or mero ko kiss karne lagi maine kaha please.
Mujhe sone do or mai so gaye samay bitata gaiya or
mai 6 class mai chala gaye greesh ki maa ka lungs ka infection theak
nahi hua or 6mihani baad unka dehant ho gaiya greeshma ka admission coll
mai ho gaiya greeshma ke aadat mai badlav aagaye ow aaksar aapne kapade
door khole ke badalti to kabhi ghar mai kawal bra panty mai ghumati to
kabhi mini skert mai to kabhi transparent nity mai uske papa aaksar uspe
najar dalate rahete the or or apne boobs Kisi na kisi baha ne se unhe
dikhati rahiti thi wo uske pure faida uthate or kabhi mauka milne par
uske boobs ko anjan ban ke daba bhi dete jai kuch hua he nahi 1 din
maine dhekha ki uncl greeshma ko kapa badalte hue dheakh rahi the or wo
jan boojh kar aapne nity ke chain khuli dhod di jab wo bahar aaye to
uncal ne uski chain lagai or dhere se uski boobs ko bhi aab greesma kafi
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din mai Aapne school se aaye to dhekha ki unsal greeshma se kitchen mai
piche se lipete hue the or usko gall pe kiss kar rahae the mukhe
dheakh kar unho ne use chood diye 1 din jab hum so rahi the tab greeshma
ke papa ne use bullai or kaha ki unehe sar mai dard ho raha hai
greeshma baam unke saar mai laga rahi the or mai sone chala gaiye phir
mujhe pata nahi kya hua mai wapas uncal ke kamere ke woor chala gaiye
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utarne lage greeshma unhe chumane lagi or kahe ne lagi ki itene dine se
kry kar rahi hu aapki najar he nahi jati yaha aaj gai hai ,Aap ye kahani
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tumahere koi bf hai to usne kaha nahi hai to uncal ne kahi Huuu yani
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Chacha ne berahmi se apni beti ko choda |
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महिलाओं का स्वभाव बहुत शार्मिला होता है। इसलिए उनके दिल की बात को जुबां तक आने में काफी समय लगता हैं। लेकिन बहुत सी बातें ऐसी है जो हर महिला चाहती हैं। जैसे अपने प्रेमी से प्यार और देखभाल की उम्मीद, साथ ही यह भी की उनका प्रेमी उनके नखरे उठाएं, उनके आगे-पीछे घूमें, उन्हें महत्वपूर्ण समझें, उनकी हर बात मानें। आइये इसके अलावा महिलाओं की सिक्रेट के बारे में जानें।
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14 फरवरी, नेश्नल कंडोम डे
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अकेले अमेरिका में हर साल यौंन संक्रमित बीमारियों से बीस लाख नए मामले सामने आते हैं, जिन्हें कंडोम के इस्तेमाल से कम किया जा सकता है। भारत में ये आंकडे कहीं ज्यादा हैं।
कंडोम का इस्तेमाल करने से न सिर्फ यौन संक्रमित बीमारियों से बचाव होता है, बल्कि एचआईवी वायरस से भी सुरक्षा मिलती है। किसी भी नए इंसान के से यौन संबंध बनाते समय कंडोम का उपयोग जरूर करना चाहिये। साथ ही कंडोम को इस्तेमाल करने का सही तरीका भी मालूम होना चाहिये।
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मैं राज आगरा से। एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूं। १० साल पहले जब मैं १८ साल का था, मेरे दूर के रिश्ते में चाचा चाची बरेली में रहते थे। एक दिन पता चला कि वो हमेशा के लिये आगरा में आ गये हैं। मै और घर के सभी लोग उनसे मिलने गये। लगभग १० साल पहले उनकी लव मैरिज हुई थी पर कोइ बच्चा नहीं हुआ। चाची कि उमर ३० साल होगी। मैने चाची को देखा तो देखता ही रह गया। लम्बी, गोरी चिटटी चाची का भरा बदन, चौड़ी कमर, बाहर निकले उत्तेजक हिप्स और ब्लाउज से बाहर झांकते बड़े-बड़े स्तन मेरे मन में हलचल मचाने लगे। मेरे मन में उनको नंगा देखने और चोदने का ख्याल आने लगा।
मेरे चाचा अपना व्यापार करने की सोच रहे थे। मै अक्सर उनके घर आया जाया करता था। मै चाची से खूब घुल मिल गया था और वो भी मेरा काफ़ी खयाल रखती थी। एक दिन चाचा को बाहर जाना था तो चाची बोली कि उन्हें रात को अकेले में डर लगेगा। चाचा ने मेरि मां से बात की तो मां ने मुझे कहा कि तुम रात को चाची के पास सो जाया करो।
मैं रात को ९ बजे चाची के पास पहुंच गया। चाची बोली- राज! तुम्हारे लिए अलग बिस्तर लगायें या तुम मेरे साथ ही सो जाओगे? मैने कहा - जैसा आप ठीक समझें। मैं तो कहीं भी सो जाउन्गा। चाची बोली- तो तुम इसी बिस्तर पर सो जाना। फ़िर चाची अपने काम में लग गयी। रात को १० बजे चाची कमरे में आयी और साड़ी उतारते हुए बोली - राज, तुम अखबार पढ रहे हो, मैं सो रही हूं, जब तुम्हें नीन्द आये तुम सो जाना। थोड़ी देर में मैने लाईट बंद की और लेट गया। मुझे नींद नहीं आ रही थी। काफ़ी देर बाद चाची उठकर लाईट जला कर बाथरूम गयी और वापिस आकर लेट गयी। मैं जाग रहा था लेकिन आंखे बंद करके लेटा था।
कुछ देर बाद चाची बोली - राज तुम सो रहे हो? मैने अचानक जगने का बहाना किया और बोला क्या हुआ चाची?
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तभी चाची ने अपने ब्लाउज के कुछ हुक खोल दिये यह कह कर कि बहुत गर्मी लग रही है। अब उनके निप्पल साफ़ नज़र आ रहे थे। मैने बूब्स पर हाथ रख लिया और सहलाने लगा। अब मेरी हिम्मत बढ चुकी थी। मैने उनके बूब्स को ब्लौज से निकाल कर मुंह मे ले लिया और दोनो हाथों से पकड़ कर मसलते हुए उनका पेटीकोट अपने पैर से उपर करना शुरु कर दिया। वह बोली-क्या कर रहे हो? मैने जोश में कहा- चाची आज मत रोको मुझे। उनकी गोरी गोरी जांघों को देख कर मै एक दम जोश मे आ चुका था। उनकी चूत नशीली लग रही थी। मैने उनकी चूत को चाटना शुरु कर दिया।मै पागल हो चुका था।
मैने अपने पैर चाची के सिर की तरफ़ कर लिये थे। चाची ने भी मेरि नेकर को नीचे कर लिया और मेरा लन्ड निकाल कर चूसने लगी। वह मुझे भरपूर मजा दे रही रही थी। कुछ देर बाद चाची मेरे उपर आ गयी और मै नीचे से चूत चाटने के साथ साथ उनके गोरे और बड़े बड़े हिप्स सहलाने लगा। चाची की चूत पानी छोड़ गयी। अब मै और नहीं रह सकता था, मै उठा और चाची को लिटा कर, उनकी टांगें चौड़ी करके चूत में लन्ड डाल दिया और चाची कराहने लगी। मै जोर जोर से धक्के लगाने लगा। चाची ने मुझे कस के पकड़ लिया और कहने लगी- राज एसे ही करो, बहुत मजा आ रहा है, आज मै तुम्हारी हो गयी, अब मुझे रोज़ तुम्हारा लन्ड अपनी चूत में चहिये एएऊउ स्स स्सी स्स्स आह्ह्ह ह्म्म आय हां हां च्च उई म्म मा। कुछ देर बाद मेरे लन्ड ने पानी छोड़ दिया और चाची भी कई बार डिस्चार्ज हो चुकी थी।
उस रात मैने तीन बार अलग अलग ऐन्गल से चाची को चोदा। चाची ने भी मस्त हो कर पूरा साथ दिया। तब से जब भी चाचा बाहर जाते तो हम दोनो रात को खूब मजे करते। हमारा यह रिश्ता दो साल तक चला। इसी बीच चाची ने एक लड़का और एक लड़की को जन्म दिया। चाची ये दोनो मेरे ही बच्चे बताती हैं और यह बात कोइ और नहीं जानता।
कैसी लगी मेरी सच्ची कहानी !
मेरे चाचा अपना व्यापार करने की सोच रहे थे। मै अक्सर उनके घर आया जाया करता था। मै चाची से खूब घुल मिल गया था और वो भी मेरा काफ़ी खयाल रखती थी। एक दिन चाचा को बाहर जाना था तो चाची बोली कि उन्हें रात को अकेले में डर लगेगा। चाचा ने मेरि मां से बात की तो मां ने मुझे कहा कि तुम रात को चाची के पास सो जाया करो।
मैं रात को ९ बजे चाची के पास पहुंच गया। चाची बोली- राज! तुम्हारे लिए अलग बिस्तर लगायें या तुम मेरे साथ ही सो जाओगे? मैने कहा - जैसा आप ठीक समझें। मैं तो कहीं भी सो जाउन्गा। चाची बोली- तो तुम इसी बिस्तर पर सो जाना। फ़िर चाची अपने काम में लग गयी। रात को १० बजे चाची कमरे में आयी और साड़ी उतारते हुए बोली - राज, तुम अखबार पढ रहे हो, मैं सो रही हूं, जब तुम्हें नीन्द आये तुम सो जाना। थोड़ी देर में मैने लाईट बंद की और लेट गया। मुझे नींद नहीं आ रही थी। काफ़ी देर बाद चाची उठकर लाईट जला कर बाथरूम गयी और वापिस आकर लेट गयी। मैं जाग रहा था लेकिन आंखे बंद करके लेटा था।
कुछ देर बाद चाची बोली - राज तुम सो रहे हो? मैने अचानक जगने का बहाना किया और बोला क्या हुआ चाची?
चाची एक दम मुझ से लिपट गयी और बोली मुझे डर लग रहा है। मैने कहा- डर कैसा? पर मुझे करंट सा लगा जब उनके बूब्स मेरी छती से छुये। उनकी एक टांग मेरे उपर थी। मैने भी उनकी टांग पर एक पैर रख दिया और उनकी पीठ पर हाथ रखते हुए कहा- सो जाओ चाची। चाची धीरे धीरे मेरी बाहों मे सिमटती जा रही थी और मुझे मजा आ रहा था। धीरे से मैने उनके हिप्स पर हाथ रखा और धीरे धीरे सहलाने लगा। चाची को मजा आ रहा था। फ़िर चाची सीधी लेट गयी और मेरा हाथ अपने पेट पर रखते हुए कहा कि तुम मुझ से चिपट कर सोना, मुझे डर लग रहा है। अब मै भी उनसे चिपट गया और उनके बूब्स पर सिर रख लिया। मेरा लन्ड खड़ा हो चुका था। मै धीरे धीरे उनका पेट औए फ़िर जांघ सहलाने लगा।
तभी चाची ने अपने ब्लाउज के कुछ हुक खोल दिये यह कह कर कि बहुत गर्मी लग रही है। अब उनके निप्पल साफ़ नज़र आ रहे थे। मैने बूब्स पर हाथ रख लिया और सहलाने लगा। अब मेरी हिम्मत बढ चुकी थी। मैने उनके बूब्स को ब्लौज से निकाल कर मुंह मे ले लिया और दोनो हाथों से पकड़ कर मसलते हुए उनका पेटीकोट अपने पैर से उपर करना शुरु कर दिया। वह बोली-क्या कर रहे हो? मैने जोश में कहा- चाची आज मत रोको मुझे। उनकी गोरी गोरी जांघों को देख कर मै एक दम जोश मे आ चुका था। उनकी चूत नशीली लग रही थी। मैने उनकी चूत को चाटना शुरु कर दिया।मै पागल हो चुका था।
मैने अपने पैर चाची के सिर की तरफ़ कर लिये थे। चाची ने भी मेरि नेकर को नीचे कर लिया और मेरा लन्ड निकाल कर चूसने लगी। वह मुझे भरपूर मजा दे रही रही थी। कुछ देर बाद चाची मेरे उपर आ गयी और मै नीचे से चूत चाटने के साथ साथ उनके गोरे और बड़े बड़े हिप्स सहलाने लगा। चाची की चूत पानी छोड़ गयी। अब मै और नहीं रह सकता था, मै उठा और चाची को लिटा कर, उनकी टांगें चौड़ी करके चूत में लन्ड डाल दिया और चाची कराहने लगी। मै जोर जोर से धक्के लगाने लगा। चाची ने मुझे कस के पकड़ लिया और कहने लगी- राज एसे ही करो, बहुत मजा आ रहा है, आज मै तुम्हारी हो गयी, अब मुझे रोज़ तुम्हारा लन्ड अपनी चूत में चहिये एएऊउ स्स स्सी स्स्स आह्ह्ह ह्म्म आय हां हां च्च उई म्म मा। कुछ देर बाद मेरे लन्ड ने पानी छोड़ दिया और चाची भी कई बार डिस्चार्ज हो चुकी थी।
उस रात मैने तीन बार अलग अलग ऐन्गल से चाची को चोदा। चाची ने भी मस्त हो कर पूरा साथ दिया। तब से जब भी चाचा बाहर जाते तो हम दोनो रात को खूब मजे करते। हमारा यह रिश्ता दो साल तक चला। इसी बीच चाची ने एक लड़का और एक लड़की को जन्म दिया। चाची ये दोनो मेरे ही बच्चे बताती हैं और यह बात कोइ और नहीं जानता।
कैसी लगी मेरी सच्ची कहानी !
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दोस्तों आज एक मजेदार कहानी पेश कर रहा हु वैसे तो Chudai Antarvasna Kamukta Hindi sex Indian Sex Hindi Sex Kahani Hindi Sex Stories मै मस्तराम डॉट नेट पर ढेर सारी कहानिया लिख चूका हु पर आज कुछ अलग ही कहानी लिख रहा हु आशा है की ये कहानी भी आप लोगो को जरुर पसंद आएगी |
दीपक वर्मा ने अपना आईडी और पासवर्ड डाला लोग इन किया. अनुष्का ऑनलाइन थी. वादे के मुताबिक वो उनका इंतेज़ार कर रही थी. लोग इन करते ही फ़ौरन उसकी मेसेज विंडो अपने आप खुल गयी. उसका असली नाम अनुष्का था.
अनुष्का – है. आइ वाज़ वेटिंग फॉर यू.
दीपक – सॉरी थोड़ा लेट हो गया. एक क्लाइंट बैठा हुआ था, जाने का नाम ही नही ले रहा था.
अनुष्का – नही कोई बात. ज़्यादा वेट नही करना पड़ा. मैं भी बस अभी ऑनलाइन आई ही थी.
दीपक – आपने अपना वादा पूरा किया.
अनुष्का – कैसी ना करती, आपने इतने प्यार से आने के कहा था.
दीपक – वैसे एक बात बताऊं आपको?
अनुष्का – बताइए
दीपक – जिस दिन मुझे पता होता है के आज आपसे बात होने वाली है, सुबह से ही मेरा लंड खड़ा रहता है.
अनुष्का – लोल …. तो घर में एक चूत है तो, घुसा दिया कीजिए.
दीपक – मेरी बीवी? उससे बेहतर तो ये है के मैं बाथरूम में जाकर हिला लूँ
अनुष्का – तो क्या ऐसा किया?
दीपक – मतलब?
अनुष्का – हिलाया?
दीपक – हां हिलाया ना. सुबह से 3 बार मूठ मार चुका हूँ
अनुष्का – हिलाते हुए क्या सोच रहे थे?
दीपक – यही के हक़ीकत में आपको चोदुन्गा तो कैसा फील होगा.
अनुष्का – डोंट वरी. जल्दी पता चल जाएगा. वैसे डर नही लगता तुम्हें?
दीपक – किस बात का?
अनुष्का – यू नेवेर नो. हो सकता है के मैं कोई पागल किस्म की सीरियल किल्लर टाइप लड़की निकलूं. या हो सकता है के मुझे कोई एड्स टाइप बीमारी हो?
दीपक = यआ राइट. लोल
दीपक वर्मा एक बड़ी कंपनी में काफ़ी अच्छी पोस्ट पर था. बड़ा सा घर, बड़ी सी गाड़ी, 2 बच्चे और शादी शुदा ज़िंदगी से परेशान. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसकी शादी 22 साल की उमर में ही करा दी गयी थी. ऐसा नही के वो हमेशा से अपनी शादी से परेशान रहा था. उसकी बीवी एक पढ़ी लिखी, बहुत सुंदर और एक अमीर घराने की लड़की ती. शुरू शुरू में दोनो में सेक्स भी बहुत था. कई सालों तक दीपक अपनी बीवी को हर रात चोद कर ही सोता था और सुबह होते ही सबसे पहला काम होता था बीवी पर चढ़ जाना. पर बच्चे होने के बाद धीरे धीरे उसकी बीवी सेक्स के मामले में जैसे बुझती चली गयी. रोज़ रात होने वाला सेक्स अब वीक्ली बेसिस पर होने लगा था और उसमें भी उसे लगता था के किसी सेक्स डॉल को चोद रहा है. पहले कई साल तक उसने अपनी बीवी में फिर से वही चिंगारी पैदा करने की कोशिश की पर जब नाकाम रहा तो फ्रस्टरेट होने लगा. किसी रंडी के पास जाना उसके उसूल के सख़्त खिलफ़्फ़ था इसलिए सेक्षुयल फ्रस्ट्रेशन धीरे धीरे बढ़ने लगी.
और इसी फ्रस्ट्रेशन में उसने इंटरनेट का सहारा लिया. पॉर्न साइट्स पर जाना, पॉर्न वीडियोस देखना, चॅटरूम में जाकर किसी लड़की को ढूँढना और उससे गंदी गंदी बातें करना, उसकी सेक्स लाइफ यहीं तक सिमट गयी थी.
और एक दिन ऐसे ही एक चॅट रूम में उसको अनुष्का मिली. उसका असली नाम अनुष्का था. और उसके बाद फिर जैसे बातों का सिलसिला चल निकला. वो दोनो टाइम फिक्स करके ऑनलाइन आते और एक दूसरे से चॅट करते. पहले दोनो सिर्फ़ साइबर सेक्स और रॉलीप्लेस को लेकर ही बात करते थे पर फिर धीरे बातें सेक्स से हटकर भी होने लगी.
और यही वो टाइम था जब अनुष्का ने उसको सजेस्ट किया था के उन दोनो को मिलना चाहिए और जिस तरह से वो ऑनलाइन सेक्स करते हैं, वैसे ही हक़ीक़त में भी करना चाहिए.
दीपक – मिलने का प्लान पक्का है ना वैसे?
अनुष्का – हां. होटेल में रूम बुक किया तुमने?
दीपक – हां कर लिया. सॅटर्डे आंड सनडे
अनुष्का – अवेसम
दीपक – ब्लॅक ब्रा आंड पॅंटी?
अनुष्का – हां खरीद ली. जैसी तुमने कही थी बिल्कुल वैसी.
दीपक – मेरा तो सोच कर ही खड़ा हो रहा है
अनुष्का – मैं ठंडा कर दूं?
दीपक – करो
ये उन दोनो का हमेशा का रुटीन था. दोनो सेक्स में कोई रोलेपले करते और इस तरफ दीपक अपना लंड हिलाता और जैसा के अनुष्का ने उसको बताया था, वो भी दूसरी तरफ अपनी चूत में अंगुली करती थी. दीपक ने कई बार उसपर ज़ोर डाला था के वो दोनो एक दूसरे को देख कर ये काम करें पर अनुष्का हमेशा मना कर देती थी. उसके हिसाब से एक दूसरे को नंगा उन्हें तभी देखना चाहिए जब वो मिले.
अनुष्का – आइ कॅंट बिलीव के कुच्छ दिन बाद ही तुम मुझे नंगी देखोगे
दीपक – देखूँगा नही जानेमन, बहुत कुच्छ करूँगा
अनुष्का – क्या क्या करोगे?
दीपक – तुम्हें बिस्तर पर रागडूंगा
अनुष्का – ऐसे नही, शुरू से बताओ. इमॅजिन करो के मैं बस अभी कमरे में आई ही हूँ
दीपक – जैसी ही तुम कमरे में आई, मैने कमरे का दरवाज़ा बंद किया
अनुष्का – और मैं आगे बढ़कर तुमसे लिपट गयी.
दीपक – मुझसे इंतेज़ार नही हो रहा था इसलिए बिना कुच्छ कहे मैं अपने होंठ तुम्हारे होंठों पर रख दिए और एक हाथ से तुम्हारी चूची पकड़ ली
अनुष्का – कौन सी? राइट या लेफ्ट?
दीपक – राइट
अनुष्का – आआहह जान. ज़ोर से दबाओ.
दीपक – मैने तुम्हारे होंठों को चूस्ते हुए तुम्हें दीवार के साथ लगा दिया और नीचे दोनो हाथों से तुम्हारी चूचियाँ दबा रहा हूँ
अनुष्का – लंड को भी चूत पर रागडो ना
दीपक – मैं अब अपना लंड कपड़ो के उपेर से ही तुम्हारी चूत पर रगड़ रहा हूँ
अनुष्का – मैने अब अपना एक हाथ नीचे ले जाकर तुम्हारे लंड को सहलाना शुरू कर दिया.
दीपक – चूसोगी नही?
अनुष्का – चुसुन्गि पर पहले तुम मुझे नंगी तो करो.
दीपक – अब मैं तुम्हें धीरे चूमता हुआ धीरे धीरे बिस्तर की ओर ले जा रहा हूँ. बिस्तर के पास ले जाकर मैने तुम्हें बिस्तर पर धक्का देकर गिरा दिया.
अनुष्का – अब चढ़ जाओ मेरे उपेर. एक रंडी की तरह चोदो मुझे.
दीपक – वैसे जब हम रियल में मिलेंगे, सबसे पहले क्या बनकर चुद्वओगि? माइ लवर या एक रंडी?
अनुष्का – रंडी. सबसे पहले मुझे एक रंडी समझकर चोदना. ऐसा चोदना की मैं रो पडू.
दीपक – चिंता मत कर मेरी जान. तेरी चूत में लंड घुसाके निकालूँगा नही. ऐसे धक्के लगाऊँगा के यू विल क्राइ, बोथ इन पेन आंड प्लेषर
अनुष्का – विल यू लिक्क माइ चूत?
दीपक को चूत पर मुँह लगाना बिल्कील पसंद नही था. सोचकर ही उल्टी आती थी. एक ये काम उसने बिस्तर पर कभी नही किया था.
दीपक – ऑफ कोर्स. आइ विल लिक्क उर चूत, रब इट, टीज़ इट, प्ले वित इट
अनुष्का – पर पहली बार में गांड मारने की कोई कोशिश मत करना प्लीज़. आइ नो हाउ मच यू वन्त इट पर पहली बार में नही
दीपक – अंगुली भी नही? आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
अनुष्का – नही प्लीज़. गांड में कुच्छ मत डालना.
दीपक – ओके
अनुष्का – अच्छा डिड यू गेट दा रोप्स?
दीपक – हां आइ डिड
अनुष्का – कूल. मेरा बड़ा दिल है के मैं तुम्हें बिस्तर से बाँध दूं ताकि तुम हिल भी ना सको और फिर मैं तुम्हारे उपेर चढ़ु.
दीपक – और?
अनुष्का – और फिर मैं तुम्हारे होंठों को चूमूं, जब तक मेरा दिल चाहे
दीपक – और?
अनुष्का – और फिर मैं तुम्हारे गले को चूमते हुए नीचे आऊँ, तुम्हारी चूची पर किस करूँ, फिर तुम्हारे निपल्स को धीरे से काटु.
दीपक – फिर?
अनुष्का – फिर धीरे धीरे नीचे आऊँ और तुम्हारे पूरे लंड को अपनी जीब से चाटना शुरू कर दूं.
दीपक – ओह्ह्ह्ह गॉड …. सोचकर ही कितना मज़ा आ रहा है
अनुष्का – इमॅजिन करो … और तुम बँधे हुए होंगे और हिल भी नही पाओगे और मैं तुम्हारा लंड चूसुन्गि और तुम कुच्छ भी नही कर पाओगे | आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
दीपक – आइ नो
अनुष्का – थ्ट्स माइ फॅवुरेट पार्ट आक्च्युयली. मेरा बड़ा मंन है. तुम्हें बिस्तर से बाँध दूँगी, फिर तुम्हारी आँखों पर भी एक पट्टी बाँध दूँगी और फिर अपना खेल खेलूँगी.
उस दिन सुबह दीपक उठा तो किसी बच्चे की तरह खुश था. आज वो अनुष्का से मिलने जा रहा था, पूरे वीकेंड के लिए यानी के अगले दो दिन तक वो अनुष्का को जी भरकर चोदने वाला था. घर पर उसने अपनी बीवी को कह दिया था के वो बिज़्नेस मीटिंग के लिए जा रहा है पर शायद ना भी बताता तो कुच्छ बिगड़ने वाला नही था. हमेशा की तरह वो सुबह से ही अपनी दोस्तों के साथ कोई चॅरिटी फंक्षन प्लान करने में बिज़ी थी.
इतना एग्ज़ाइटेड वो तब था जब उसकी शादी हो रही थी या शादी के पहले कुच्छ दिनो में जब उसको पता था के घर जाकर वो अपनी बीवी की चूत मारेगा. ये सोच सोच कर ही के थोड़ी देर बाद उसका लंड एक चूत में होगा, उसके दिल की धड़कन तेज़ होने लगती थी. लंड इस तरह खड़ा हो जाता था के पेंट में च्छुपाना मुश्किल हो जाता था.
यही हाल उसका आज भी था. सुबह से उसका लंड तना खड़ा था. दिमाग़ में सिर्फ़ यही चल रहा था के थोड़ी देर बाद वो एक कमरे में वासना का हर गंदा खेल खेलने वाला है. वो सब करने वाला है जो वो करना तो चाहता था पर कभी बीवी के साथ कर ना सका. जी भरकर चुदाई के दौरान गालियाँ देगा, अनुष्का को जिस नाम से चाहे बुलाएगा, जिस पोज़िशन में चाहे चोदेगा, जब तक चाहे चोदेगा. अनुष्का ने उसे वादा किया था के 2 दिन तक वो दोनो होटेल के रूम में नंगे ही रहेंगे, बिल्कुल कपड़े नही पहनेंगे. दीपक की एक फॅंटेसी थी और वो थी के वो किसी लड़की के साथ नंगा बैठ कर खाना खाए, जब वो और लड़की दोनो डाइनिंग टेबल पर नंगे बैठे हों और खाना खा रहे हों. बीवी से ऐसी फरमाइश वो कभी कर नही सका पर जब अनुष्का से कहा, तो वो फ़ौरन मान गयी. “आज उनसे पहली मुलाक़ात होगी, फिर आमने सामने बात होगी” वो दिल ही दिल में गुनगुना रहा था “अर्रे बात नही, चुदाई होगी” दिल ही दिल में सोचकर वो हंस पड़ा. अनुष्का से बात करते उसको 6 महीने से ज़्यादा हो गये थे. वो औरत जैसे उसका दिमाग़ पढ़ती थी, जैसे उसको जानती थी. पहले दीपक डरता था के कहीं ये कोई लड़का तो नही जो मज़ाक कर रहा हो क्यूंकी वो कभी भी खुद को दिखाती नही थी पर फिर धीरे धीरे उसको यकीन हो गया था के वो एक औरत ही थी. पहले दोनो ऑनलाइन आते, साइबर सेक्स करते और दीपक मूठ मार लेता पर फिर धीरे धीरे अनुष्का ने बात को सेक्स से घुमाना शुरू कर दिया था. बातें फिर सेक्स से हटकर उन दोनो के बारे में होती थी के उन्हें बिस्तर पर क्या पसंद है, क्या नही, सेक्स किस तरह का चाहिए और दीपक को हैरानी होती थी के वो जो कहता, अनुष्का उसी को अपनी भी पसंद बताती. हर गंदी से गंदी ख्वाइश के लिए उसने यही कहा के अगर वो कभी मिले, तो दीपक उसके साथ ऐसा कर सकता है. फिर बातें सेक्स से हटकर उन दोनो की पर्सनल ज़िंदगी की तरफ आ गयी. बातों बातों में अनुष्का दीपक के बारे में थोड़ा बहुत जान गयी थी पर वो उस औरत के बारे में कुच्छ नही जानता था. कौन थी, कहाँ रहती थी, क्या करती थी, कुच्छ भी तो नही. “जैसा के उसने कहा था, वो कोई सीरियल किल्लर भी हो सकती है” उसने दिल ही दी में सोचा और उस बात पर हँस पड़ा. “ऑल राइट बेटा” उसने अपनी बेटी का सर चूमा “आइ विल सी यू ऑन मंडे” बीवी किसी चॅरिटी वर्क में बिज़ी थी और दीपक उसके घर आने से पहले ही निकल लेना चाहता था.
कोई 3 घंटे बाद उसकी कार एक होटेल की लॉबी में आकर रुकी. वो कार से उतरा और पहले सीधा वॉशरूम में गया. अपने आपको शीशे में देखा, एक डियो अपने उपेर च्चिड़का, माउत फ्रेशनेर अपने मुँह में स्प्रे किया और बार में पहुँचा.
जैसा की उन दोनो ने डिसाइड किया था, वो टेबल 7 पर बैठी थी. अनुष्का की पीठ दीपक की तरफ थी पर वो बता सकता था के उसने ब्लॅक कलर की सारी पहेन रखी थी. ये दीपक की एक फॅंटेसी थी के औरत ब्लॅक सारी, ब्लॅक ब्लाउस, ब्लॅक पेटिकट, ब्लॅक ब्रा, और ब्लॅक पॅंटी में हो. वो चाहता था के वो कोई कपड़े ना उतारे, बस औरत को झुकाए, फिर ब्लॅक ब्रा और ब्लॅक पेटिकट उपेर उठाए, ब्लॅक पॅंटी नीचे सरकाए और अपना लंड पिछे से चूत में डाल दे. आगे से उस औरत के ब्लॅक ब्लाउस के बटन खुले हों, चूचियाँ ब्लॅक ब्रा से बाहर लटक रही हो. ये थी उसकी ब्लॅक फॅंटेसी और जब उसने अनुष्का से इस बारे में बात की, तो वो फ़ौरन मान गयी. और आज वादे के मुताबिक वो ब्लॅक कपड़ो में ही आई थी. उसके पास कोई बॅग नही था पर दीपक गेस कर रहा था के बॅग ऑलरेडी रूम में जा चुका होगा क्यूंकी रूम बुक्ड था और वो नंबर जानती थी | आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | दीपक ने भी होटेल आकर अपना समान बेल-बॉय के हाथ रूम में भेज दिया था और खुद बार में आ गया था. वो खुद भी एक ब्लॅक सूट में था. ब्लॅक कोट, ब्लॅक वेस्ट, ब्लू शर्ट, और बॅक ट्राउज़र. ट्राउज़र के अंदर उसने अनुष्का की फरमाइश पर पहेन रखी थी एक पिंक कलर की पॅंटी. चलता हुआ वो अनुष्का के पिछे पहुँचा और उसके कंधे पर हाथ रखा. “अनुष्का?” उसने कहा आवाज़ पर औरत पलटी और उठकर सीधी खड़ी हुई. और अगले ही पल दोनो के चेरे सफेद पड़ते चले गये. “तुम?” दोनो के मुँह से एक साथ निकला.दीपक के सामने ब्लॅक सारी में उसकी अपनी बीवी स्नेहा खड़ी थी. तो दोस्तो आपने देखा कभी कभी ऐसा भी होता है ये दोनो भी उन्मुक्त सेक्स के दीवाने थे लेकिन कभी एक दूसरे से कह नही पाए इसी का नतीजा था की आज एक दूसरे से नज़रे चुरा रहे थे |
दीपक वर्मा ने अपना आईडी और पासवर्ड डाला लोग इन किया. अनुष्का ऑनलाइन थी. वादे के मुताबिक वो उनका इंतेज़ार कर रही थी. लोग इन करते ही फ़ौरन उसकी मेसेज विंडो अपने आप खुल गयी. उसका असली नाम अनुष्का था.
अनुष्का – है. आइ वाज़ वेटिंग फॉर यू.
दीपक – सॉरी थोड़ा लेट हो गया. एक क्लाइंट बैठा हुआ था, जाने का नाम ही नही ले रहा था.
अनुष्का – नही कोई बात. ज़्यादा वेट नही करना पड़ा. मैं भी बस अभी ऑनलाइन आई ही थी.
दीपक – आपने अपना वादा पूरा किया.
अनुष्का – कैसी ना करती, आपने इतने प्यार से आने के कहा था.
दीपक – वैसे एक बात बताऊं आपको?
अनुष्का – बताइए
दीपक – जिस दिन मुझे पता होता है के आज आपसे बात होने वाली है, सुबह से ही मेरा लंड खड़ा रहता है.
अनुष्का – लोल …. तो घर में एक चूत है तो, घुसा दिया कीजिए.
दीपक – मेरी बीवी? उससे बेहतर तो ये है के मैं बाथरूम में जाकर हिला लूँ
अनुष्का – तो क्या ऐसा किया?
दीपक – मतलब?
अनुष्का – हिलाया?
दीपक – हां हिलाया ना. सुबह से 3 बार मूठ मार चुका हूँ
अनुष्का – हिलाते हुए क्या सोच रहे थे?
दीपक – यही के हक़ीकत में आपको चोदुन्गा तो कैसा फील होगा.
अनुष्का – डोंट वरी. जल्दी पता चल जाएगा. वैसे डर नही लगता तुम्हें?
दीपक – किस बात का?
अनुष्का – यू नेवेर नो. हो सकता है के मैं कोई पागल किस्म की सीरियल किल्लर टाइप लड़की निकलूं. या हो सकता है के मुझे कोई एड्स टाइप बीमारी हो?
दीपक = यआ राइट. लोल
दीपक वर्मा एक बड़ी कंपनी में काफ़ी अच्छी पोस्ट पर था. बड़ा सा घर, बड़ी सी गाड़ी, 2 बच्चे और शादी शुदा ज़िंदगी से परेशान. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसकी शादी 22 साल की उमर में ही करा दी गयी थी. ऐसा नही के वो हमेशा से अपनी शादी से परेशान रहा था. उसकी बीवी एक पढ़ी लिखी, बहुत सुंदर और एक अमीर घराने की लड़की ती. शुरू शुरू में दोनो में सेक्स भी बहुत था. कई सालों तक दीपक अपनी बीवी को हर रात चोद कर ही सोता था और सुबह होते ही सबसे पहला काम होता था बीवी पर चढ़ जाना. पर बच्चे होने के बाद धीरे धीरे उसकी बीवी सेक्स के मामले में जैसे बुझती चली गयी. रोज़ रात होने वाला सेक्स अब वीक्ली बेसिस पर होने लगा था और उसमें भी उसे लगता था के किसी सेक्स डॉल को चोद रहा है. पहले कई साल तक उसने अपनी बीवी में फिर से वही चिंगारी पैदा करने की कोशिश की पर जब नाकाम रहा तो फ्रस्टरेट होने लगा. किसी रंडी के पास जाना उसके उसूल के सख़्त खिलफ़्फ़ था इसलिए सेक्षुयल फ्रस्ट्रेशन धीरे धीरे बढ़ने लगी.
और इसी फ्रस्ट्रेशन में उसने इंटरनेट का सहारा लिया. पॉर्न साइट्स पर जाना, पॉर्न वीडियोस देखना, चॅटरूम में जाकर किसी लड़की को ढूँढना और उससे गंदी गंदी बातें करना, उसकी सेक्स लाइफ यहीं तक सिमट गयी थी.
और एक दिन ऐसे ही एक चॅट रूम में उसको अनुष्का मिली. उसका असली नाम अनुष्का था. और उसके बाद फिर जैसे बातों का सिलसिला चल निकला. वो दोनो टाइम फिक्स करके ऑनलाइन आते और एक दूसरे से चॅट करते. पहले दोनो सिर्फ़ साइबर सेक्स और रॉलीप्लेस को लेकर ही बात करते थे पर फिर धीरे बातें सेक्स से हटकर भी होने लगी.
और यही वो टाइम था जब अनुष्का ने उसको सजेस्ट किया था के उन दोनो को मिलना चाहिए और जिस तरह से वो ऑनलाइन सेक्स करते हैं, वैसे ही हक़ीक़त में भी करना चाहिए.
दीपक – मिलने का प्लान पक्का है ना वैसे?
अनुष्का – हां. होटेल में रूम बुक किया तुमने?
दीपक – हां कर लिया. सॅटर्डे आंड सनडे
अनुष्का – अवेसम
दीपक – ब्लॅक ब्रा आंड पॅंटी?
अनुष्का – हां खरीद ली. जैसी तुमने कही थी बिल्कुल वैसी.
दीपक – मेरा तो सोच कर ही खड़ा हो रहा है
अनुष्का – मैं ठंडा कर दूं?
दीपक – करो
ये उन दोनो का हमेशा का रुटीन था. दोनो सेक्स में कोई रोलेपले करते और इस तरफ दीपक अपना लंड हिलाता और जैसा के अनुष्का ने उसको बताया था, वो भी दूसरी तरफ अपनी चूत में अंगुली करती थी. दीपक ने कई बार उसपर ज़ोर डाला था के वो दोनो एक दूसरे को देख कर ये काम करें पर अनुष्का हमेशा मना कर देती थी. उसके हिसाब से एक दूसरे को नंगा उन्हें तभी देखना चाहिए जब वो मिले.
अनुष्का – आइ कॅंट बिलीव के कुच्छ दिन बाद ही तुम मुझे नंगी देखोगे
दीपक – देखूँगा नही जानेमन, बहुत कुच्छ करूँगा
अनुष्का – क्या क्या करोगे?
दीपक – तुम्हें बिस्तर पर रागडूंगा
अनुष्का – ऐसे नही, शुरू से बताओ. इमॅजिन करो के मैं बस अभी कमरे में आई ही हूँ
दीपक – जैसी ही तुम कमरे में आई, मैने कमरे का दरवाज़ा बंद किया
अनुष्का – और मैं आगे बढ़कर तुमसे लिपट गयी.
दीपक – मुझसे इंतेज़ार नही हो रहा था इसलिए बिना कुच्छ कहे मैं अपने होंठ तुम्हारे होंठों पर रख दिए और एक हाथ से तुम्हारी चूची पकड़ ली
अनुष्का – कौन सी? राइट या लेफ्ट?
दीपक – राइट
अनुष्का – आआहह जान. ज़ोर से दबाओ.
दीपक – मैने तुम्हारे होंठों को चूस्ते हुए तुम्हें दीवार के साथ लगा दिया और नीचे दोनो हाथों से तुम्हारी चूचियाँ दबा रहा हूँ
अनुष्का – लंड को भी चूत पर रागडो ना
दीपक – मैं अब अपना लंड कपड़ो के उपेर से ही तुम्हारी चूत पर रगड़ रहा हूँ
अनुष्का – मैने अब अपना एक हाथ नीचे ले जाकर तुम्हारे लंड को सहलाना शुरू कर दिया.
दीपक – चूसोगी नही?
अनुष्का – चुसुन्गि पर पहले तुम मुझे नंगी तो करो.
दीपक – अब मैं तुम्हें धीरे चूमता हुआ धीरे धीरे बिस्तर की ओर ले जा रहा हूँ. बिस्तर के पास ले जाकर मैने तुम्हें बिस्तर पर धक्का देकर गिरा दिया.
अनुष्का – अब चढ़ जाओ मेरे उपेर. एक रंडी की तरह चोदो मुझे.
दीपक – वैसे जब हम रियल में मिलेंगे, सबसे पहले क्या बनकर चुद्वओगि? माइ लवर या एक रंडी?
अनुष्का – रंडी. सबसे पहले मुझे एक रंडी समझकर चोदना. ऐसा चोदना की मैं रो पडू.
दीपक – चिंता मत कर मेरी जान. तेरी चूत में लंड घुसाके निकालूँगा नही. ऐसे धक्के लगाऊँगा के यू विल क्राइ, बोथ इन पेन आंड प्लेषर
अनुष्का – विल यू लिक्क माइ चूत?
दीपक को चूत पर मुँह लगाना बिल्कील पसंद नही था. सोचकर ही उल्टी आती थी. एक ये काम उसने बिस्तर पर कभी नही किया था.
दीपक – ऑफ कोर्स. आइ विल लिक्क उर चूत, रब इट, टीज़ इट, प्ले वित इट
अनुष्का – पर पहली बार में गांड मारने की कोई कोशिश मत करना प्लीज़. आइ नो हाउ मच यू वन्त इट पर पहली बार में नही
दीपक – अंगुली भी नही? आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
अनुष्का – नही प्लीज़. गांड में कुच्छ मत डालना.
दीपक – ओके
अनुष्का – अच्छा डिड यू गेट दा रोप्स?
दीपक – हां आइ डिड
अनुष्का – कूल. मेरा बड़ा दिल है के मैं तुम्हें बिस्तर से बाँध दूं ताकि तुम हिल भी ना सको और फिर मैं तुम्हारे उपेर चढ़ु.
दीपक – और?
अनुष्का – और फिर मैं तुम्हारे होंठों को चूमूं, जब तक मेरा दिल चाहे
दीपक – और?
अनुष्का – और फिर मैं तुम्हारे गले को चूमते हुए नीचे आऊँ, तुम्हारी चूची पर किस करूँ, फिर तुम्हारे निपल्स को धीरे से काटु.
दीपक – फिर?
अनुष्का – फिर धीरे धीरे नीचे आऊँ और तुम्हारे पूरे लंड को अपनी जीब से चाटना शुरू कर दूं.
दीपक – ओह्ह्ह्ह गॉड …. सोचकर ही कितना मज़ा आ रहा है
अनुष्का – इमॅजिन करो … और तुम बँधे हुए होंगे और हिल भी नही पाओगे और मैं तुम्हारा लंड चूसुन्गि और तुम कुच्छ भी नही कर पाओगे | आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
दीपक – आइ नो
अनुष्का – थ्ट्स माइ फॅवुरेट पार्ट आक्च्युयली. मेरा बड़ा मंन है. तुम्हें बिस्तर से बाँध दूँगी, फिर तुम्हारी आँखों पर भी एक पट्टी बाँध दूँगी और फिर अपना खेल खेलूँगी.
उस दिन सुबह दीपक उठा तो किसी बच्चे की तरह खुश था. आज वो अनुष्का से मिलने जा रहा था, पूरे वीकेंड के लिए यानी के अगले दो दिन तक वो अनुष्का को जी भरकर चोदने वाला था. घर पर उसने अपनी बीवी को कह दिया था के वो बिज़्नेस मीटिंग के लिए जा रहा है पर शायद ना भी बताता तो कुच्छ बिगड़ने वाला नही था. हमेशा की तरह वो सुबह से ही अपनी दोस्तों के साथ कोई चॅरिटी फंक्षन प्लान करने में बिज़ी थी.
इतना एग्ज़ाइटेड वो तब था जब उसकी शादी हो रही थी या शादी के पहले कुच्छ दिनो में जब उसको पता था के घर जाकर वो अपनी बीवी की चूत मारेगा. ये सोच सोच कर ही के थोड़ी देर बाद उसका लंड एक चूत में होगा, उसके दिल की धड़कन तेज़ होने लगती थी. लंड इस तरह खड़ा हो जाता था के पेंट में च्छुपाना मुश्किल हो जाता था.
यही हाल उसका आज भी था. सुबह से उसका लंड तना खड़ा था. दिमाग़ में सिर्फ़ यही चल रहा था के थोड़ी देर बाद वो एक कमरे में वासना का हर गंदा खेल खेलने वाला है. वो सब करने वाला है जो वो करना तो चाहता था पर कभी बीवी के साथ कर ना सका. जी भरकर चुदाई के दौरान गालियाँ देगा, अनुष्का को जिस नाम से चाहे बुलाएगा, जिस पोज़िशन में चाहे चोदेगा, जब तक चाहे चोदेगा. अनुष्का ने उसे वादा किया था के 2 दिन तक वो दोनो होटेल के रूम में नंगे ही रहेंगे, बिल्कुल कपड़े नही पहनेंगे. दीपक की एक फॅंटेसी थी और वो थी के वो किसी लड़की के साथ नंगा बैठ कर खाना खाए, जब वो और लड़की दोनो डाइनिंग टेबल पर नंगे बैठे हों और खाना खा रहे हों. बीवी से ऐसी फरमाइश वो कभी कर नही सका पर जब अनुष्का से कहा, तो वो फ़ौरन मान गयी. “आज उनसे पहली मुलाक़ात होगी, फिर आमने सामने बात होगी” वो दिल ही दिल में गुनगुना रहा था “अर्रे बात नही, चुदाई होगी” दिल ही दिल में सोचकर वो हंस पड़ा. अनुष्का से बात करते उसको 6 महीने से ज़्यादा हो गये थे. वो औरत जैसे उसका दिमाग़ पढ़ती थी, जैसे उसको जानती थी. पहले दीपक डरता था के कहीं ये कोई लड़का तो नही जो मज़ाक कर रहा हो क्यूंकी वो कभी भी खुद को दिखाती नही थी पर फिर धीरे धीरे उसको यकीन हो गया था के वो एक औरत ही थी. पहले दोनो ऑनलाइन आते, साइबर सेक्स करते और दीपक मूठ मार लेता पर फिर धीरे धीरे अनुष्का ने बात को सेक्स से घुमाना शुरू कर दिया था. बातें फिर सेक्स से हटकर उन दोनो के बारे में होती थी के उन्हें बिस्तर पर क्या पसंद है, क्या नही, सेक्स किस तरह का चाहिए और दीपक को हैरानी होती थी के वो जो कहता, अनुष्का उसी को अपनी भी पसंद बताती. हर गंदी से गंदी ख्वाइश के लिए उसने यही कहा के अगर वो कभी मिले, तो दीपक उसके साथ ऐसा कर सकता है. फिर बातें सेक्स से हटकर उन दोनो की पर्सनल ज़िंदगी की तरफ आ गयी. बातों बातों में अनुष्का दीपक के बारे में थोड़ा बहुत जान गयी थी पर वो उस औरत के बारे में कुच्छ नही जानता था. कौन थी, कहाँ रहती थी, क्या करती थी, कुच्छ भी तो नही. “जैसा के उसने कहा था, वो कोई सीरियल किल्लर भी हो सकती है” उसने दिल ही दी में सोचा और उस बात पर हँस पड़ा. “ऑल राइट बेटा” उसने अपनी बेटी का सर चूमा “आइ विल सी यू ऑन मंडे” बीवी किसी चॅरिटी वर्क में बिज़ी थी और दीपक उसके घर आने से पहले ही निकल लेना चाहता था.
कोई 3 घंटे बाद उसकी कार एक होटेल की लॉबी में आकर रुकी. वो कार से उतरा और पहले सीधा वॉशरूम में गया. अपने आपको शीशे में देखा, एक डियो अपने उपेर च्चिड़का, माउत फ्रेशनेर अपने मुँह में स्प्रे किया और बार में पहुँचा.
जैसा की उन दोनो ने डिसाइड किया था, वो टेबल 7 पर बैठी थी. अनुष्का की पीठ दीपक की तरफ थी पर वो बता सकता था के उसने ब्लॅक कलर की सारी पहेन रखी थी. ये दीपक की एक फॅंटेसी थी के औरत ब्लॅक सारी, ब्लॅक ब्लाउस, ब्लॅक पेटिकट, ब्लॅक ब्रा, और ब्लॅक पॅंटी में हो. वो चाहता था के वो कोई कपड़े ना उतारे, बस औरत को झुकाए, फिर ब्लॅक ब्रा और ब्लॅक पेटिकट उपेर उठाए, ब्लॅक पॅंटी नीचे सरकाए और अपना लंड पिछे से चूत में डाल दे. आगे से उस औरत के ब्लॅक ब्लाउस के बटन खुले हों, चूचियाँ ब्लॅक ब्रा से बाहर लटक रही हो. ये थी उसकी ब्लॅक फॅंटेसी और जब उसने अनुष्का से इस बारे में बात की, तो वो फ़ौरन मान गयी. और आज वादे के मुताबिक वो ब्लॅक कपड़ो में ही आई थी. उसके पास कोई बॅग नही था पर दीपक गेस कर रहा था के बॅग ऑलरेडी रूम में जा चुका होगा क्यूंकी रूम बुक्ड था और वो नंबर जानती थी | आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | दीपक ने भी होटेल आकर अपना समान बेल-बॉय के हाथ रूम में भेज दिया था और खुद बार में आ गया था. वो खुद भी एक ब्लॅक सूट में था. ब्लॅक कोट, ब्लॅक वेस्ट, ब्लू शर्ट, और बॅक ट्राउज़र. ट्राउज़र के अंदर उसने अनुष्का की फरमाइश पर पहेन रखी थी एक पिंक कलर की पॅंटी. चलता हुआ वो अनुष्का के पिछे पहुँचा और उसके कंधे पर हाथ रखा. “अनुष्का?” उसने कहा आवाज़ पर औरत पलटी और उठकर सीधी खड़ी हुई. और अगले ही पल दोनो के चेरे सफेद पड़ते चले गये. “तुम?” दोनो के मुँह से एक साथ निकला.दीपक के सामने ब्लॅक सारी में उसकी अपनी बीवी स्नेहा खड़ी थी. तो दोस्तो आपने देखा कभी कभी ऐसा भी होता है ये दोनो भी उन्मुक्त सेक्स के दीवाने थे लेकिन कभी एक दूसरे से कह नही पाए इसी का नतीजा था की आज एक दूसरे से नज़रे चुरा रहे थे |
दोस्तो कहानी कैसी लगी ज़रूर बताईएगा आपका दोस्त राहुल
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दोस्तों आज एक मजेदार कहानी पेश कर रहा हु वैसे तो Chudai Antarvasna Kamukta Hindi sex Indian Sex Hindi Sex Kahani Hindi Sex Stories मै मस्तराम डॉट नेट पर ढेर सारी कहानिया लिख चूका हु पर आज कुछ अलग ही कहानी लिख रहा हु आशा है की ये कहानी भी आप लोगो को जरुर पसंद आएगी |
दीपक वर्मा ने अपना आईडी और पासवर्ड डाला लोग इन किया. अनुष्का ऑनलाइन थी. वादे के मुताबिक वो उनका इंतेज़ार कर रही थी. लोग इन करते ही फ़ौरन उसकी मेसेज विंडो अपने आप खुल गयी. उसका असली नाम अनुष्का था.
अनुष्का – है. आइ वाज़ वेटिंग फॉर यू.
दीपक – सॉरी थोड़ा लेट हो गया. एक क्लाइंट बैठा हुआ था, जाने का नाम ही नही ले रहा था.
अनुष्का – नही कोई बात. ज़्यादा वेट नही करना पड़ा. मैं भी बस अभी ऑनलाइन आई ही थी.
दीपक – आपने अपना वादा पूरा किया.
अनुष्का – कैसी ना करती, आपने इतने प्यार से आने के कहा था.
दीपक – वैसे एक बात बताऊं आपको?
अनुष्का – बताइए
दीपक – जिस दिन मुझे पता होता है के आज आपसे बात होने वाली है, सुबह से ही मेरा लंड खड़ा रहता है.
अनुष्का – लोल …. तो घर में एक चूत है तो, घुसा दिया कीजिए.
दीपक – मेरी बीवी? उससे बेहतर तो ये है के मैं बाथरूम में जाकर हिला लूँ
अनुष्का – तो क्या ऐसा किया?
दीपक – मतलब?
अनुष्का – हिलाया?
दीपक – हां हिलाया ना. सुबह से 3 बार मूठ मार चुका हूँ
अनुष्का – हिलाते हुए क्या सोच रहे थे?
दीपक – यही के हक़ीकत में आपको चोदुन्गा तो कैसा फील होगा.
अनुष्का – डोंट वरी. जल्दी पता चल जाएगा. वैसे डर नही लगता तुम्हें?
दीपक – किस बात का?
अनुष्का – यू नेवेर नो. हो सकता है के मैं कोई पागल किस्म की सीरियल किल्लर टाइप लड़की निकलूं. या हो सकता है के मुझे कोई एड्स टाइप बीमारी हो?
दीपक = यआ राइट. लोल
दीपक वर्मा एक बड़ी कंपनी में काफ़ी अच्छी पोस्ट पर था. बड़ा सा घर, बड़ी सी गाड़ी, 2 बच्चे और शादी शुदा ज़िंदगी से परेशान. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसकी शादी 22 साल की उमर में ही करा दी गयी थी. ऐसा नही के वो हमेशा से अपनी शादी से परेशान रहा था. उसकी बीवी एक पढ़ी लिखी, बहुत सुंदर और एक अमीर घराने की लड़की ती. शुरू शुरू में दोनो में सेक्स भी बहुत था. कई सालों तक दीपक अपनी बीवी को हर रात चोद कर ही सोता था और सुबह होते ही सबसे पहला काम होता था बीवी पर चढ़ जाना. पर बच्चे होने के बाद धीरे धीरे उसकी बीवी सेक्स के मामले में जैसे बुझती चली गयी. रोज़ रात होने वाला सेक्स अब वीक्ली बेसिस पर होने लगा था और उसमें भी उसे लगता था के किसी सेक्स डॉल को चोद रहा है. पहले कई साल तक उसने अपनी बीवी में फिर से वही चिंगारी पैदा करने की कोशिश की पर जब नाकाम रहा तो फ्रस्टरेट होने लगा. किसी रंडी के पास जाना उसके उसूल के सख़्त खिलफ़्फ़ था इसलिए सेक्षुयल फ्रस्ट्रेशन धीरे धीरे बढ़ने लगी.
और इसी फ्रस्ट्रेशन में उसने इंटरनेट का सहारा लिया. पॉर्न साइट्स पर जाना, पॉर्न वीडियोस देखना, चॅटरूम में जाकर किसी लड़की को ढूँढना और उससे गंदी गंदी बातें करना, उसकी सेक्स लाइफ यहीं तक सिमट गयी थी.
और एक दिन ऐसे ही एक चॅट रूम में उसको अनुष्का मिली. उसका असली नाम अनुष्का था. और उसके बाद फिर जैसे बातों का सिलसिला चल निकला. वो दोनो टाइम फिक्स करके ऑनलाइन आते और एक दूसरे से चॅट करते. पहले दोनो सिर्फ़ साइबर सेक्स और रॉलीप्लेस को लेकर ही बात करते थे पर फिर धीरे बातें सेक्स से हटकर भी होने लगी.
और यही वो टाइम था जब अनुष्का ने उसको सजेस्ट किया था के उन दोनो को मिलना चाहिए और जिस तरह से वो ऑनलाइन सेक्स करते हैं, वैसे ही हक़ीक़त में भी करना चाहिए.
दीपक – मिलने का प्लान पक्का है ना वैसे?
अनुष्का – हां. होटेल में रूम बुक किया तुमने?
दीपक – हां कर लिया. सॅटर्डे आंड सनडे
अनुष्का – अवेसम
दीपक – ब्लॅक ब्रा आंड पॅंटी?
अनुष्का – हां खरीद ली. जैसी तुमने कही थी बिल्कुल वैसी.
दीपक – मेरा तो सोच कर ही खड़ा हो रहा है
अनुष्का – मैं ठंडा कर दूं?
दीपक – करो
ये उन दोनो का हमेशा का रुटीन था. दोनो सेक्स में कोई रोलेपले करते और इस तरफ दीपक अपना लंड हिलाता और जैसा के अनुष्का ने उसको बताया था, वो भी दूसरी तरफ अपनी चूत में अंगुली करती थी. दीपक ने कई बार उसपर ज़ोर डाला था के वो दोनो एक दूसरे को देख कर ये काम करें पर अनुष्का हमेशा मना कर देती थी. उसके हिसाब से एक दूसरे को नंगा उन्हें तभी देखना चाहिए जब वो मिले.
अनुष्का – आइ कॅंट बिलीव के कुच्छ दिन बाद ही तुम मुझे नंगी देखोगे
दीपक – देखूँगा नही जानेमन, बहुत कुच्छ करूँगा
अनुष्का – क्या क्या करोगे?
दीपक – तुम्हें बिस्तर पर रागडूंगा
अनुष्का – ऐसे नही, शुरू से बताओ. इमॅजिन करो के मैं बस अभी कमरे में आई ही हूँ
दीपक – जैसी ही तुम कमरे में आई, मैने कमरे का दरवाज़ा बंद किया
अनुष्का – और मैं आगे बढ़कर तुमसे लिपट गयी.
दीपक – मुझसे इंतेज़ार नही हो रहा था इसलिए बिना कुच्छ कहे मैं अपने होंठ तुम्हारे होंठों पर रख दिए और एक हाथ से तुम्हारी चूची पकड़ ली
अनुष्का – कौन सी? राइट या लेफ्ट?
दीपक – राइट
अनुष्का – आआहह जान. ज़ोर से दबाओ.
दीपक – मैने तुम्हारे होंठों को चूस्ते हुए तुम्हें दीवार के साथ लगा दिया और नीचे दोनो हाथों से तुम्हारी चूचियाँ दबा रहा हूँ
अनुष्का – लंड को भी चूत पर रागडो ना
दीपक – मैं अब अपना लंड कपड़ो के उपेर से ही तुम्हारी चूत पर रगड़ रहा हूँ
अनुष्का – मैने अब अपना एक हाथ नीचे ले जाकर तुम्हारे लंड को सहलाना शुरू कर दिया.
दीपक – चूसोगी नही?
अनुष्का – चुसुन्गि पर पहले तुम मुझे नंगी तो करो.
दीपक – अब मैं तुम्हें धीरे चूमता हुआ धीरे धीरे बिस्तर की ओर ले जा रहा हूँ. बिस्तर के पास ले जाकर मैने तुम्हें बिस्तर पर धक्का देकर गिरा दिया.
अनुष्का – अब चढ़ जाओ मेरे उपेर. एक रंडी की तरह चोदो मुझे.
दीपक – वैसे जब हम रियल में मिलेंगे, सबसे पहले क्या बनकर चुद्वओगि? माइ लवर या एक रंडी?
अनुष्का – रंडी. सबसे पहले मुझे एक रंडी समझकर चोदना. ऐसा चोदना की मैं रो पडू.
दीपक – चिंता मत कर मेरी जान. तेरी चूत में लंड घुसाके निकालूँगा नही. ऐसे धक्के लगाऊँगा के यू विल क्राइ, बोथ इन पेन आंड प्लेषर
अनुष्का – विल यू लिक्क माइ चूत?
दीपक को चूत पर मुँह लगाना बिल्कील पसंद नही था. सोचकर ही उल्टी आती थी. एक ये काम उसने बिस्तर पर कभी नही किया था.
दीपक – ऑफ कोर्स. आइ विल लिक्क उर चूत, रब इट, टीज़ इट, प्ले वित इट
अनुष्का – पर पहली बार में गांड मारने की कोई कोशिश मत करना प्लीज़. आइ नो हाउ मच यू वन्त इट पर पहली बार में नही
दीपक – अंगुली भी नही? आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
अनुष्का – नही प्लीज़. गांड में कुच्छ मत डालना.
दीपक – ओके
अनुष्का – अच्छा डिड यू गेट दा रोप्स?
दीपक – हां आइ डिड
अनुष्का – कूल. मेरा बड़ा दिल है के मैं तुम्हें बिस्तर से बाँध दूं ताकि तुम हिल भी ना सको और फिर मैं तुम्हारे उपेर चढ़ु.
दीपक – और?
अनुष्का – और फिर मैं तुम्हारे होंठों को चूमूं, जब तक मेरा दिल चाहे
दीपक – और?
अनुष्का – और फिर मैं तुम्हारे गले को चूमते हुए नीचे आऊँ, तुम्हारी चूची पर किस करूँ, फिर तुम्हारे निपल्स को धीरे से काटु.
दीपक – फिर?
अनुष्का – फिर धीरे धीरे नीचे आऊँ और तुम्हारे पूरे लंड को अपनी जीब से चाटना शुरू कर दूं.
दीपक – ओह्ह्ह्ह गॉड …. सोचकर ही कितना मज़ा आ रहा है
अनुष्का – इमॅजिन करो … और तुम बँधे हुए होंगे और हिल भी नही पाओगे और मैं तुम्हारा लंड चूसुन्गि और तुम कुच्छ भी नही कर पाओगे | आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
दीपक – आइ नो
अनुष्का – थ्ट्स माइ फॅवुरेट पार्ट आक्च्युयली. मेरा बड़ा मंन है. तुम्हें बिस्तर से बाँध दूँगी, फिर तुम्हारी आँखों पर भी एक पट्टी बाँध दूँगी और फिर अपना खेल खेलूँगी.
उस दिन सुबह दीपक उठा तो किसी बच्चे की तरह खुश था. आज वो अनुष्का से मिलने जा रहा था, पूरे वीकेंड के लिए यानी के अगले दो दिन तक वो अनुष्का को जी भरकर चोदने वाला था. घर पर उसने अपनी बीवी को कह दिया था के वो बिज़्नेस मीटिंग के लिए जा रहा है पर शायद ना भी बताता तो कुच्छ बिगड़ने वाला नही था. हमेशा की तरह वो सुबह से ही अपनी दोस्तों के साथ कोई चॅरिटी फंक्षन प्लान करने में बिज़ी थी.
इतना एग्ज़ाइटेड वो तब था जब उसकी शादी हो रही थी या शादी के पहले कुच्छ दिनो में जब उसको पता था के घर जाकर वो अपनी बीवी की चूत मारेगा. ये सोच सोच कर ही के थोड़ी देर बाद उसका लंड एक चूत में होगा, उसके दिल की धड़कन तेज़ होने लगती थी. लंड इस तरह खड़ा हो जाता था के पेंट में च्छुपाना मुश्किल हो जाता था.
यही हाल उसका आज भी था. सुबह से उसका लंड तना खड़ा था. दिमाग़ में सिर्फ़ यही चल रहा था के थोड़ी देर बाद वो एक कमरे में वासना का हर गंदा खेल खेलने वाला है. वो सब करने वाला है जो वो करना तो चाहता था पर कभी बीवी के साथ कर ना सका. जी भरकर चुदाई के दौरान गालियाँ देगा, अनुष्का को जिस नाम से चाहे बुलाएगा, जिस पोज़िशन में चाहे चोदेगा, जब तक चाहे चोदेगा. अनुष्का ने उसे वादा किया था के 2 दिन तक वो दोनो होटेल के रूम में नंगे ही रहेंगे, बिल्कुल कपड़े नही पहनेंगे. दीपक की एक फॅंटेसी थी और वो थी के वो किसी लड़की के साथ नंगा बैठ कर खाना खाए, जब वो और लड़की दोनो डाइनिंग टेबल पर नंगे बैठे हों और खाना खा रहे हों. बीवी से ऐसी फरमाइश वो कभी कर नही सका पर जब अनुष्का से कहा, तो वो फ़ौरन मान गयी. “आज उनसे पहली मुलाक़ात होगी, फिर आमने सामने बात होगी” वो दिल ही दिल में गुनगुना रहा था “अर्रे बात नही, चुदाई होगी” दिल ही दिल में सोचकर वो हंस पड़ा. अनुष्का से बात करते उसको 6 महीने से ज़्यादा हो गये थे. वो औरत जैसे उसका दिमाग़ पढ़ती थी, जैसे उसको जानती थी. पहले दीपक डरता था के कहीं ये कोई लड़का तो नही जो मज़ाक कर रहा हो क्यूंकी वो कभी भी खुद को दिखाती नही थी पर फिर धीरे धीरे उसको यकीन हो गया था के वो एक औरत ही थी. पहले दोनो ऑनलाइन आते, साइबर सेक्स करते और दीपक मूठ मार लेता पर फिर धीरे धीरे अनुष्का ने बात को सेक्स से घुमाना शुरू कर दिया था. बातें फिर सेक्स से हटकर उन दोनो के बारे में होती थी के उन्हें बिस्तर पर क्या पसंद है, क्या नही, सेक्स किस तरह का चाहिए और दीपक को हैरानी होती थी के वो जो कहता, अनुष्का उसी को अपनी भी पसंद बताती. हर गंदी से गंदी ख्वाइश के लिए उसने यही कहा के अगर वो कभी मिले, तो दीपक उसके साथ ऐसा कर सकता है. फिर बातें सेक्स से हटकर उन दोनो की पर्सनल ज़िंदगी की तरफ आ गयी. बातों बातों में अनुष्का दीपक के बारे में थोड़ा बहुत जान गयी थी पर वो उस औरत के बारे में कुच्छ नही जानता था. कौन थी, कहाँ रहती थी, क्या करती थी, कुच्छ भी तो नही. “जैसा के उसने कहा था, वो कोई सीरियल किल्लर भी हो सकती है” उसने दिल ही दी में सोचा और उस बात पर हँस पड़ा. “ऑल राइट बेटा” उसने अपनी बेटी का सर चूमा “आइ विल सी यू ऑन मंडे” बीवी किसी चॅरिटी वर्क में बिज़ी थी और दीपक उसके घर आने से पहले ही निकल लेना चाहता था.
कोई 3 घंटे बाद उसकी कार एक होटेल की लॉबी में आकर रुकी. वो कार से उतरा और पहले सीधा वॉशरूम में गया. अपने आपको शीशे में देखा, एक डियो अपने उपेर च्चिड़का, माउत फ्रेशनेर अपने मुँह में स्प्रे किया और बार में पहुँचा.
जैसा की उन दोनो ने डिसाइड किया था, वो टेबल 7 पर बैठी थी. अनुष्का की पीठ दीपक की तरफ थी पर वो बता सकता था के उसने ब्लॅक कलर की सारी पहेन रखी थी. ये दीपक की एक फॅंटेसी थी के औरत ब्लॅक सारी, ब्लॅक ब्लाउस, ब्लॅक पेटिकट, ब्लॅक ब्रा, और ब्लॅक पॅंटी में हो. वो चाहता था के वो कोई कपड़े ना उतारे, बस औरत को झुकाए, फिर ब्लॅक ब्रा और ब्लॅक पेटिकट उपेर उठाए, ब्लॅक पॅंटी नीचे सरकाए और अपना लंड पिछे से चूत में डाल दे. आगे से उस औरत के ब्लॅक ब्लाउस के बटन खुले हों, चूचियाँ ब्लॅक ब्रा से बाहर लटक रही हो. ये थी उसकी ब्लॅक फॅंटेसी और जब उसने अनुष्का से इस बारे में बात की, तो वो फ़ौरन मान गयी. और आज वादे के मुताबिक वो ब्लॅक कपड़ो में ही आई थी. उसके पास कोई बॅग नही था पर दीपक गेस कर रहा था के बॅग ऑलरेडी रूम में जा चुका होगा क्यूंकी रूम बुक्ड था और वो नंबर जानती थी | आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | दीपक ने भी होटेल आकर अपना समान बेल-बॉय के हाथ रूम में भेज दिया था और खुद बार में आ गया था. वो खुद भी एक ब्लॅक सूट में था. ब्लॅक कोट, ब्लॅक वेस्ट, ब्लू शर्ट, और बॅक ट्राउज़र. ट्राउज़र के अंदर उसने अनुष्का की फरमाइश पर पहेन रखी थी एक पिंक कलर की पॅंटी. चलता हुआ वो अनुष्का के पिछे पहुँचा और उसके कंधे पर हाथ रखा. “अनुष्का?” उसने कहा आवाज़ पर औरत पलटी और उठकर सीधी खड़ी हुई. और अगले ही पल दोनो के चेरे सफेद पड़ते चले गये. “तुम?” दोनो के मुँह से एक साथ निकला.दीपक के सामने ब्लॅक सारी में उसकी अपनी बीवी स्नेहा खड़ी थी. तो दोस्तो आपने देखा कभी कभी ऐसा भी होता है ये दोनो भी उन्मुक्त सेक्स के दीवाने थे लेकिन कभी एक दूसरे से कह नही पाए इसी का नतीजा था की आज एक दूसरे से नज़रे चुरा रहे थे |
दीपक वर्मा ने अपना आईडी और पासवर्ड डाला लोग इन किया. अनुष्का ऑनलाइन थी. वादे के मुताबिक वो उनका इंतेज़ार कर रही थी. लोग इन करते ही फ़ौरन उसकी मेसेज विंडो अपने आप खुल गयी. उसका असली नाम अनुष्का था.
अनुष्का – है. आइ वाज़ वेटिंग फॉर यू.
दीपक – सॉरी थोड़ा लेट हो गया. एक क्लाइंट बैठा हुआ था, जाने का नाम ही नही ले रहा था.
अनुष्का – नही कोई बात. ज़्यादा वेट नही करना पड़ा. मैं भी बस अभी ऑनलाइन आई ही थी.
दीपक – आपने अपना वादा पूरा किया.
अनुष्का – कैसी ना करती, आपने इतने प्यार से आने के कहा था.
दीपक – वैसे एक बात बताऊं आपको?
अनुष्का – बताइए
दीपक – जिस दिन मुझे पता होता है के आज आपसे बात होने वाली है, सुबह से ही मेरा लंड खड़ा रहता है.
अनुष्का – लोल …. तो घर में एक चूत है तो, घुसा दिया कीजिए.
दीपक – मेरी बीवी? उससे बेहतर तो ये है के मैं बाथरूम में जाकर हिला लूँ
अनुष्का – तो क्या ऐसा किया?
दीपक – मतलब?
अनुष्का – हिलाया?
दीपक – हां हिलाया ना. सुबह से 3 बार मूठ मार चुका हूँ
अनुष्का – हिलाते हुए क्या सोच रहे थे?
दीपक – यही के हक़ीकत में आपको चोदुन्गा तो कैसा फील होगा.
अनुष्का – डोंट वरी. जल्दी पता चल जाएगा. वैसे डर नही लगता तुम्हें?
दीपक – किस बात का?
अनुष्का – यू नेवेर नो. हो सकता है के मैं कोई पागल किस्म की सीरियल किल्लर टाइप लड़की निकलूं. या हो सकता है के मुझे कोई एड्स टाइप बीमारी हो?
दीपक = यआ राइट. लोल
दीपक वर्मा एक बड़ी कंपनी में काफ़ी अच्छी पोस्ट पर था. बड़ा सा घर, बड़ी सी गाड़ी, 2 बच्चे और शादी शुदा ज़िंदगी से परेशान. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसकी शादी 22 साल की उमर में ही करा दी गयी थी. ऐसा नही के वो हमेशा से अपनी शादी से परेशान रहा था. उसकी बीवी एक पढ़ी लिखी, बहुत सुंदर और एक अमीर घराने की लड़की ती. शुरू शुरू में दोनो में सेक्स भी बहुत था. कई सालों तक दीपक अपनी बीवी को हर रात चोद कर ही सोता था और सुबह होते ही सबसे पहला काम होता था बीवी पर चढ़ जाना. पर बच्चे होने के बाद धीरे धीरे उसकी बीवी सेक्स के मामले में जैसे बुझती चली गयी. रोज़ रात होने वाला सेक्स अब वीक्ली बेसिस पर होने लगा था और उसमें भी उसे लगता था के किसी सेक्स डॉल को चोद रहा है. पहले कई साल तक उसने अपनी बीवी में फिर से वही चिंगारी पैदा करने की कोशिश की पर जब नाकाम रहा तो फ्रस्टरेट होने लगा. किसी रंडी के पास जाना उसके उसूल के सख़्त खिलफ़्फ़ था इसलिए सेक्षुयल फ्रस्ट्रेशन धीरे धीरे बढ़ने लगी.
और इसी फ्रस्ट्रेशन में उसने इंटरनेट का सहारा लिया. पॉर्न साइट्स पर जाना, पॉर्न वीडियोस देखना, चॅटरूम में जाकर किसी लड़की को ढूँढना और उससे गंदी गंदी बातें करना, उसकी सेक्स लाइफ यहीं तक सिमट गयी थी.
और एक दिन ऐसे ही एक चॅट रूम में उसको अनुष्का मिली. उसका असली नाम अनुष्का था. और उसके बाद फिर जैसे बातों का सिलसिला चल निकला. वो दोनो टाइम फिक्स करके ऑनलाइन आते और एक दूसरे से चॅट करते. पहले दोनो सिर्फ़ साइबर सेक्स और रॉलीप्लेस को लेकर ही बात करते थे पर फिर धीरे बातें सेक्स से हटकर भी होने लगी.
और यही वो टाइम था जब अनुष्का ने उसको सजेस्ट किया था के उन दोनो को मिलना चाहिए और जिस तरह से वो ऑनलाइन सेक्स करते हैं, वैसे ही हक़ीक़त में भी करना चाहिए.
दीपक – मिलने का प्लान पक्का है ना वैसे?
अनुष्का – हां. होटेल में रूम बुक किया तुमने?
दीपक – हां कर लिया. सॅटर्डे आंड सनडे
अनुष्का – अवेसम
दीपक – ब्लॅक ब्रा आंड पॅंटी?
अनुष्का – हां खरीद ली. जैसी तुमने कही थी बिल्कुल वैसी.
दीपक – मेरा तो सोच कर ही खड़ा हो रहा है
अनुष्का – मैं ठंडा कर दूं?
दीपक – करो
ये उन दोनो का हमेशा का रुटीन था. दोनो सेक्स में कोई रोलेपले करते और इस तरफ दीपक अपना लंड हिलाता और जैसा के अनुष्का ने उसको बताया था, वो भी दूसरी तरफ अपनी चूत में अंगुली करती थी. दीपक ने कई बार उसपर ज़ोर डाला था के वो दोनो एक दूसरे को देख कर ये काम करें पर अनुष्का हमेशा मना कर देती थी. उसके हिसाब से एक दूसरे को नंगा उन्हें तभी देखना चाहिए जब वो मिले.
अनुष्का – आइ कॅंट बिलीव के कुच्छ दिन बाद ही तुम मुझे नंगी देखोगे
दीपक – देखूँगा नही जानेमन, बहुत कुच्छ करूँगा
अनुष्का – क्या क्या करोगे?
दीपक – तुम्हें बिस्तर पर रागडूंगा
अनुष्का – ऐसे नही, शुरू से बताओ. इमॅजिन करो के मैं बस अभी कमरे में आई ही हूँ
दीपक – जैसी ही तुम कमरे में आई, मैने कमरे का दरवाज़ा बंद किया
अनुष्का – और मैं आगे बढ़कर तुमसे लिपट गयी.
दीपक – मुझसे इंतेज़ार नही हो रहा था इसलिए बिना कुच्छ कहे मैं अपने होंठ तुम्हारे होंठों पर रख दिए और एक हाथ से तुम्हारी चूची पकड़ ली
अनुष्का – कौन सी? राइट या लेफ्ट?
दीपक – राइट
अनुष्का – आआहह जान. ज़ोर से दबाओ.
दीपक – मैने तुम्हारे होंठों को चूस्ते हुए तुम्हें दीवार के साथ लगा दिया और नीचे दोनो हाथों से तुम्हारी चूचियाँ दबा रहा हूँ
अनुष्का – लंड को भी चूत पर रागडो ना
दीपक – मैं अब अपना लंड कपड़ो के उपेर से ही तुम्हारी चूत पर रगड़ रहा हूँ
अनुष्का – मैने अब अपना एक हाथ नीचे ले जाकर तुम्हारे लंड को सहलाना शुरू कर दिया.
दीपक – चूसोगी नही?
अनुष्का – चुसुन्गि पर पहले तुम मुझे नंगी तो करो.
दीपक – अब मैं तुम्हें धीरे चूमता हुआ धीरे धीरे बिस्तर की ओर ले जा रहा हूँ. बिस्तर के पास ले जाकर मैने तुम्हें बिस्तर पर धक्का देकर गिरा दिया.
अनुष्का – अब चढ़ जाओ मेरे उपेर. एक रंडी की तरह चोदो मुझे.
दीपक – वैसे जब हम रियल में मिलेंगे, सबसे पहले क्या बनकर चुद्वओगि? माइ लवर या एक रंडी?
अनुष्का – रंडी. सबसे पहले मुझे एक रंडी समझकर चोदना. ऐसा चोदना की मैं रो पडू.
दीपक – चिंता मत कर मेरी जान. तेरी चूत में लंड घुसाके निकालूँगा नही. ऐसे धक्के लगाऊँगा के यू विल क्राइ, बोथ इन पेन आंड प्लेषर
अनुष्का – विल यू लिक्क माइ चूत?
दीपक को चूत पर मुँह लगाना बिल्कील पसंद नही था. सोचकर ही उल्टी आती थी. एक ये काम उसने बिस्तर पर कभी नही किया था.
दीपक – ऑफ कोर्स. आइ विल लिक्क उर चूत, रब इट, टीज़ इट, प्ले वित इट
अनुष्का – पर पहली बार में गांड मारने की कोई कोशिश मत करना प्लीज़. आइ नो हाउ मच यू वन्त इट पर पहली बार में नही
दीपक – अंगुली भी नही? आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
अनुष्का – नही प्लीज़. गांड में कुच्छ मत डालना.
दीपक – ओके
अनुष्का – अच्छा डिड यू गेट दा रोप्स?
दीपक – हां आइ डिड
अनुष्का – कूल. मेरा बड़ा दिल है के मैं तुम्हें बिस्तर से बाँध दूं ताकि तुम हिल भी ना सको और फिर मैं तुम्हारे उपेर चढ़ु.
दीपक – और?
अनुष्का – और फिर मैं तुम्हारे होंठों को चूमूं, जब तक मेरा दिल चाहे
दीपक – और?
अनुष्का – और फिर मैं तुम्हारे गले को चूमते हुए नीचे आऊँ, तुम्हारी चूची पर किस करूँ, फिर तुम्हारे निपल्स को धीरे से काटु.
दीपक – फिर?
अनुष्का – फिर धीरे धीरे नीचे आऊँ और तुम्हारे पूरे लंड को अपनी जीब से चाटना शुरू कर दूं.
दीपक – ओह्ह्ह्ह गॉड …. सोचकर ही कितना मज़ा आ रहा है
अनुष्का – इमॅजिन करो … और तुम बँधे हुए होंगे और हिल भी नही पाओगे और मैं तुम्हारा लंड चूसुन्गि और तुम कुच्छ भी नही कर पाओगे | आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
दीपक – आइ नो
अनुष्का – थ्ट्स माइ फॅवुरेट पार्ट आक्च्युयली. मेरा बड़ा मंन है. तुम्हें बिस्तर से बाँध दूँगी, फिर तुम्हारी आँखों पर भी एक पट्टी बाँध दूँगी और फिर अपना खेल खेलूँगी.
उस दिन सुबह दीपक उठा तो किसी बच्चे की तरह खुश था. आज वो अनुष्का से मिलने जा रहा था, पूरे वीकेंड के लिए यानी के अगले दो दिन तक वो अनुष्का को जी भरकर चोदने वाला था. घर पर उसने अपनी बीवी को कह दिया था के वो बिज़्नेस मीटिंग के लिए जा रहा है पर शायद ना भी बताता तो कुच्छ बिगड़ने वाला नही था. हमेशा की तरह वो सुबह से ही अपनी दोस्तों के साथ कोई चॅरिटी फंक्षन प्लान करने में बिज़ी थी.
इतना एग्ज़ाइटेड वो तब था जब उसकी शादी हो रही थी या शादी के पहले कुच्छ दिनो में जब उसको पता था के घर जाकर वो अपनी बीवी की चूत मारेगा. ये सोच सोच कर ही के थोड़ी देर बाद उसका लंड एक चूत में होगा, उसके दिल की धड़कन तेज़ होने लगती थी. लंड इस तरह खड़ा हो जाता था के पेंट में च्छुपाना मुश्किल हो जाता था.
यही हाल उसका आज भी था. सुबह से उसका लंड तना खड़ा था. दिमाग़ में सिर्फ़ यही चल रहा था के थोड़ी देर बाद वो एक कमरे में वासना का हर गंदा खेल खेलने वाला है. वो सब करने वाला है जो वो करना तो चाहता था पर कभी बीवी के साथ कर ना सका. जी भरकर चुदाई के दौरान गालियाँ देगा, अनुष्का को जिस नाम से चाहे बुलाएगा, जिस पोज़िशन में चाहे चोदेगा, जब तक चाहे चोदेगा. अनुष्का ने उसे वादा किया था के 2 दिन तक वो दोनो होटेल के रूम में नंगे ही रहेंगे, बिल्कुल कपड़े नही पहनेंगे. दीपक की एक फॅंटेसी थी और वो थी के वो किसी लड़की के साथ नंगा बैठ कर खाना खाए, जब वो और लड़की दोनो डाइनिंग टेबल पर नंगे बैठे हों और खाना खा रहे हों. बीवी से ऐसी फरमाइश वो कभी कर नही सका पर जब अनुष्का से कहा, तो वो फ़ौरन मान गयी. “आज उनसे पहली मुलाक़ात होगी, फिर आमने सामने बात होगी” वो दिल ही दिल में गुनगुना रहा था “अर्रे बात नही, चुदाई होगी” दिल ही दिल में सोचकर वो हंस पड़ा. अनुष्का से बात करते उसको 6 महीने से ज़्यादा हो गये थे. वो औरत जैसे उसका दिमाग़ पढ़ती थी, जैसे उसको जानती थी. पहले दीपक डरता था के कहीं ये कोई लड़का तो नही जो मज़ाक कर रहा हो क्यूंकी वो कभी भी खुद को दिखाती नही थी पर फिर धीरे धीरे उसको यकीन हो गया था के वो एक औरत ही थी. पहले दोनो ऑनलाइन आते, साइबर सेक्स करते और दीपक मूठ मार लेता पर फिर धीरे धीरे अनुष्का ने बात को सेक्स से घुमाना शुरू कर दिया था. बातें फिर सेक्स से हटकर उन दोनो के बारे में होती थी के उन्हें बिस्तर पर क्या पसंद है, क्या नही, सेक्स किस तरह का चाहिए और दीपक को हैरानी होती थी के वो जो कहता, अनुष्का उसी को अपनी भी पसंद बताती. हर गंदी से गंदी ख्वाइश के लिए उसने यही कहा के अगर वो कभी मिले, तो दीपक उसके साथ ऐसा कर सकता है. फिर बातें सेक्स से हटकर उन दोनो की पर्सनल ज़िंदगी की तरफ आ गयी. बातों बातों में अनुष्का दीपक के बारे में थोड़ा बहुत जान गयी थी पर वो उस औरत के बारे में कुच्छ नही जानता था. कौन थी, कहाँ रहती थी, क्या करती थी, कुच्छ भी तो नही. “जैसा के उसने कहा था, वो कोई सीरियल किल्लर भी हो सकती है” उसने दिल ही दी में सोचा और उस बात पर हँस पड़ा. “ऑल राइट बेटा” उसने अपनी बेटी का सर चूमा “आइ विल सी यू ऑन मंडे” बीवी किसी चॅरिटी वर्क में बिज़ी थी और दीपक उसके घर आने से पहले ही निकल लेना चाहता था.
कोई 3 घंटे बाद उसकी कार एक होटेल की लॉबी में आकर रुकी. वो कार से उतरा और पहले सीधा वॉशरूम में गया. अपने आपको शीशे में देखा, एक डियो अपने उपेर च्चिड़का, माउत फ्रेशनेर अपने मुँह में स्प्रे किया और बार में पहुँचा.
जैसा की उन दोनो ने डिसाइड किया था, वो टेबल 7 पर बैठी थी. अनुष्का की पीठ दीपक की तरफ थी पर वो बता सकता था के उसने ब्लॅक कलर की सारी पहेन रखी थी. ये दीपक की एक फॅंटेसी थी के औरत ब्लॅक सारी, ब्लॅक ब्लाउस, ब्लॅक पेटिकट, ब्लॅक ब्रा, और ब्लॅक पॅंटी में हो. वो चाहता था के वो कोई कपड़े ना उतारे, बस औरत को झुकाए, फिर ब्लॅक ब्रा और ब्लॅक पेटिकट उपेर उठाए, ब्लॅक पॅंटी नीचे सरकाए और अपना लंड पिछे से चूत में डाल दे. आगे से उस औरत के ब्लॅक ब्लाउस के बटन खुले हों, चूचियाँ ब्लॅक ब्रा से बाहर लटक रही हो. ये थी उसकी ब्लॅक फॅंटेसी और जब उसने अनुष्का से इस बारे में बात की, तो वो फ़ौरन मान गयी. और आज वादे के मुताबिक वो ब्लॅक कपड़ो में ही आई थी. उसके पास कोई बॅग नही था पर दीपक गेस कर रहा था के बॅग ऑलरेडी रूम में जा चुका होगा क्यूंकी रूम बुक्ड था और वो नंबर जानती थी | आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | दीपक ने भी होटेल आकर अपना समान बेल-बॉय के हाथ रूम में भेज दिया था और खुद बार में आ गया था. वो खुद भी एक ब्लॅक सूट में था. ब्लॅक कोट, ब्लॅक वेस्ट, ब्लू शर्ट, और बॅक ट्राउज़र. ट्राउज़र के अंदर उसने अनुष्का की फरमाइश पर पहेन रखी थी एक पिंक कलर की पॅंटी. चलता हुआ वो अनुष्का के पिछे पहुँचा और उसके कंधे पर हाथ रखा. “अनुष्का?” उसने कहा आवाज़ पर औरत पलटी और उठकर सीधी खड़ी हुई. और अगले ही पल दोनो के चेरे सफेद पड़ते चले गये. “तुम?” दोनो के मुँह से एक साथ निकला.दीपक के सामने ब्लॅक सारी में उसकी अपनी बीवी स्नेहा खड़ी थी. तो दोस्तो आपने देखा कभी कभी ऐसा भी होता है ये दोनो भी उन्मुक्त सेक्स के दीवाने थे लेकिन कभी एक दूसरे से कह नही पाए इसी का नतीजा था की आज एक दूसरे से नज़रे चुरा रहे थे |
दोस्तो कहानी कैसी लगी ज़रूर बताईएगा आपका दोस्त राहुल
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