Friday, 15 April 2016

sex story

मैं उसका सर अपने हाथों से अपने चूत पर दबाने लगी, मेरे मुँह से तरह तरह की आवाजें निकलने लगी- मैं… मर गई रे ईईईइ अह्हा मर गई !! ऐसे नहीं ! धीरे धीरे कर ना ! फिर उसने मेरी ब्रा और पेंटी निकाल दी और मैंने उसका अण्डरवियर निकाल दिया तो उसका 8 इंच का लण्ड मेरे सामने था।
मैंने बिना देरी किया उसके लंड को मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी। वो बोल रहा था- चूस मेरी जान
चूस ! आज तो तुझे इतना चोदूँगा कि तू हमशा मुझसे ही चुदेगी, तेरी गांड मारूंगा ! मैं जोर जोर से उसका मोटा लंड चूस रही थी।
उसने मुझे कुतिया बनने के लिए कहा, मैं समझ गई कि पहले मेरी गांड मरेगी। मैं झट से कुतिया बन गई, फिर वो मेरी गांड चाटने लगा। हाय क्या बताऊँ दोस्तो, गांड चटाने में कितना मजा आता है। सच में वो अपनी जीभ को मेरी गांड के प्यारे से छेद में डालने लगा, कभी उसे गांड के छेद पर फिराता तो कभी उसे मेरी गांड में डालता।
जब मेरी गांड बिल्कुल गीली हो गई तो उसने थोड़ा सा थूक अपने लंड पर लगाया और और अपने लंड का टोपा मेरी गांड के छेद पर रखा और एक जोरदार झटका मारा। उसका पूरा का पूरा लंड मेरी गांड में चला गया, मैं तो मानो मर ही गई, मेरी आँखों में आँसू आ गये और उसे लंड निकलने के लिए कहने लगी लेकिन वो मेरी गांड में लंड डाले ही मुझे पर लेट गया।
दस मिनट बाद जब दर्द कम हुआ तो उसने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किए। अब तो मैं भी उसका साथ देने
लगी और चिल्लाने लगी- बहन के लौड़े ! और जोर से चोद ! फाड़ दे मेरी गांड ! अपनी बहन को इतना चोद कि मैं
खड़ी भी न हो पाऊँ !
वो जोर जोर से धक्के मारने लगा, उसका पूरा का पूरा का लंड मेरी गांड की जड़ तक जा रहा था, करीब 10 मिनट
की चुदाई के बाद वो कहने लगा कि उसका काम होने वाला है। बोला- अब मैं लण्ड निकालने वाला हूँ।
मैंने उसे कहा- नहीं यार ! आज तो अपने अमृत से मेरी गांड की प्यास बुझा दे, अंदर ही झाड़ दे अपना माल ! और वो झटके मारने लगा और अपना पानी मेरी गांड में भर दिया। उसके लंड से निकला गर्म पानी गांड में डलवा कर मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था।
पानी छोड़ने के बाद मैंने उसका लंड चाट कर साफ़ कर दिया।
मैंने कहा- मेरे राजा भाई ! अपनी बहन की चूत नहीं मारेगा क्या?
उसने कहा- मारूँगा मेरी जान ! भोसड़ा बना दूँगा तेरी चूत का ! पहले मेरे लंड को खड़ा तो कर ! मैंने फिर से उसका लंड मुंह में लिया और उसे चूसने लगी… 10 मिनट में उसका लंड फिर से लोहे जैसा हो गया,
उसने मुझे सीधी लिटा दिया और मेरी टाँगें चौड़ी करके मेरी चूत चाटने लगा। मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं स्वर्ग में हूँ और बस चूत चटवाती ही रहूँ। कुछ देर चूत चाटने पर उसने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और जोर का झटका मारा, उसके लंड ने मेरी चूत को सलामी दी।
मैं आपको बता दूँ कि कई बार मैं चूत में मोमबत्ती भी डाल लेती थी इसलिये मेरी झिल्ली फट चुकी थी, लंड के
अंदर जाने में मुझे इतना दर्द नहीं हुआ और न ही खून निकला।
जब उसने देखा कि खून नहीं आया तो उसने कहा- क्या बात है, कहीं किसी और से तो नहीं चुद ली?
तब मैंने उसे बताया कि मैं मोमबत्ती डालती थी इसलिये मेरी झिल्ली पहले ही फट चुकी थी।
फिर क्या था, उसने जोर जोर से धक्के लगाने शुरु किये और मैं भी गांड उठा उठा कर चुदवाने लगी। आधे
घंटे चुदने के बाद हम दोनों एक साथ झड़े, उसने अपना सारा पानी मेरी चूत में ही छोड़ दिया। वो डर
गया तो मैंने उससे कहा- कोई बात नहीं, आय-पिल ला दियो, मैं ले लूँगी।
फिर मैं थोड़ी देर तक ऐसे ही चूत में लंड डलवाए लेटी रही।
तब तक सुबह के 5 बज गए थे, हमने जल्दी से अपने कपड़े पहने और वो अपने कमरे में जाकर सो गया।
जाते हुए मैंने उसे कह दिया- अब तो मैं तेरा ही लंड डलवाया करूंगी अपनी चूत में !
तो उसने भी कह दिया- अब तो मैं भी तुझे रोज चोदा करूँगा मेरी बहन ! और मुस्करा कर चला गया। तब से लेकर आज तक मैं उससे चुद रही हूँ।

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